धनबाद: डीजल की बढ़ी कीमत एवं अन्य वजहों का हवाला देते हुए स्कूल प्रबंधन हर साल स्कूली वाहनों का किराया बढ़ा देते हैं. वहीं कीमत गिरने पर कुछेक स्कूल ही किराया कम करने को तैयार दिख रहे हैं.
यही नहीं तय मानकों पर स्कूली वाहन नहीं चल रहे हैं. उल्लेखनीय है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत निजी स्कूलों के बसों का किराया निर्धारण एवं रख-रखाव की देखरेख के लिए एक समिति का सितंबर 2013 में गठन किया गया था. इस समिति पर किराया निर्धारण के साथ खटारा वाहनों पर लगाम लगाने की जिम्मेवारी थी, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा. समिति की बैठक हर महीने के तीसरे मंगलवार को होनी थी एवं अवकाश की स्थिति में उपायुक्त की सहमति से तिथि निर्धारित की जायेगी.
वहीं झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण ने अपने एक आदेश में सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश के अनुरूप वाहन संचालन का आदेश दिया था, जिसका भी अनुपालन होता नहीं दिख रहा. सही रख-रखाव में स्कूली वाहन दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं.
समिति में कौन-कौन
उपायुक्त अध्यक्ष, एक वित्त विशेषज्ञ, एक विधि विशेषज्ञ एवं सदस्य के तौर पर डीटीओ, डीइओ, डीएसइ होंगे. इसके अलावा अभिभावक महासंघ के दो प्रतिनिधि सदस्य एवं स्कूल प्रतिनिधि के रूप में डा जेके सिन्हा, डीएवी के क्षेत्रीय निदेशक डॉ केसी श्रीवास्तव, डी-नोबिली ग्रुप के निदेशक विक्टर मिस्किट, राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर के प्राचार्य फूल सिंह सदस्य बने थे.