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शरीर की नाडि़यों को जागृत करता है व्यायाम

शक्ति मंदिर में मुद्रा चिकित्सा शिविर का पहला दिन धनबाद. रक्त के सुचारु रूप से संचालित नहीं होने से इनसान असाध्य रोग से पीडि़त हो जाता है. व्यायाम करने से शरीर में रक्त का संचार सुचारु रूप से होता रहता है. शरीर की नाडि़यां जागृत होती हैं. ये बातें दिल्ली से आये योगाचार्य एवं मुद्रा […]

शक्ति मंदिर में मुद्रा चिकित्सा शिविर का पहला दिन धनबाद. रक्त के सुचारु रूप से संचालित नहीं होने से इनसान असाध्य रोग से पीडि़त हो जाता है. व्यायाम करने से शरीर में रक्त का संचार सुचारु रूप से होता रहता है. शरीर की नाडि़यां जागृत होती हैं. ये बातें दिल्ली से आये योगाचार्य एवं मुद्रा चिकित्सक रमेश पुरी ने कही. मौका था शक्ति मंदिर में आयोजित तीन दिवसीय मुद्रा चिकित्सा शिविर का. पहले दिन शुक्रवार को योगाचार्य ने साधकों को सूक्ष्म, सरल एवं प्रभावकारी व्यायाम बताये. मुद्रा विज्ञान के बारे में बताया कि हमारी पांच उंगलियों में पांच तत्व पृथ्वी, वायु, जल, अग्नि और आकाश हंै. इसमें संतुलन रहने से हम स्वस्थ रहते हैं. असंतुलन होने से बीमार पड़ जाते हैं. पृथ्वी तत्व में असंतुलन होने से शरीर में जड़ता, मन में उदासी, कमजोरी एवं अस्थि रोग होता है. जल तत्व में असंतुलन आने से कफ, अस्थमा, सूजन एवं मूत्र रोग होता है. अग्नि तत्व में असंतुलन होने से बुखार, त्वचा रोग, खुजली, मधुमेह, मानसिक असंतुलन होता है. वायु तत्व में असंतुलन होने से हृदय रोग, रक्तचाप, निराशा, अवसाद होता है. आकाश तत्व के असंतुलन से गले का रोग, स्वर तंत्र के रोग होते हैं.

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