धनबाद: सौ दिन में चले आढ़ाई कोस वाली कहावत चरितार्थ कर रहा है जेआरडीए ( झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकार). नौ साल में सिर्फ 11 22 परिवारों का पुनर्वास किया जा सका है. बीसीसीएल और जेआरडीए दोनों एक दूसरे को दोष दे रहे हैं.
बीसीसीएल का कहना है कि पुनर्वास का काम जेआरडीए को करना है, जबकि जेआरडीए का कहना है कि बीसीसीएल जमीन ही मुहैया नहीं करा रहा है. इसके कारण काम में तेजी नहीं आ रही है.
जेआरडीए ने इसके लिए 150 करोड़ रुपये की मांग भी की है. जेआरडीए के अनुसार बीसीसीएल को जहां 27 सौ एकड़ जमीन उपलब्ध करानी है, वहीं अब तक उसने 849.69 एकड़ जमीन की ही एनओसी दी है. इसमें भी कई ऐसी जमीन है जो नौकरी और मुआवजा का मामला फंसा होने के कारण जेआरडीए के हाथ में नहीं आयी है. जेआरडीए को अभी तक 120 एकड़ जमीन ही हाथ में मिली है. बीसीसीएल ने अब तक 160 करोड़ रुपये दिये जिसमें 140 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं.