राजनीति इसी का नाम हैधनबाद. 21 साल बाद कांग्रेस नेता संतोष सिंह फिर बच्चा सिंह के साथ आ गये हैं. 1991 के चुनाव में जब बच्चा सिंह सजपा (समाजवादी जनता पार्टी) के उम्मीदवार थे तो संतोष सिंह उनके साथ थे. 1993 में संतोष ने सजपा छोड़ दी. 1995 के चुनाव में संतोष ने बिहार पीपुल्स पार्टी से चुनाव लड़ा. इसके बाद वे सिंह मैंशन एवं बच्चा सिंह के धुर विरोधी सुरेश सिंह के साथ हो लिए. हर रोज सिंह मैंशन एवं इस परिवार के लोगों का विरोध करते रहे. कड़े बयान देते रहे. कई बार जान को खतरा तक बताया. इस बार भी चुनाव में संतोष ने टिकट पाने के लिए एड़ी चोटी एक की, लेकिन सफलता नहीं मिली तो नीरज के साथ आ गये. हालांकि इस बीच कई बार नीरज और संतोष के बीच फेस बुक में दोस्ती होने की भी चर्चा रही. लेकिन जब लोगों को मालूम हुआ तो दोनों जुदा हो गये. अबकी फिर से कांग्रेस के टिकट के कारण दोनों में 21 सालों के बाद दोस्ती की शुरुआत हुई है. दोनों आज झरिया में एक मंच पर दिखे. इधर सिंह मैंशन में भी एक नयी बात हुई. दो चचेरे भाई संजीव सिंह और नीरज सिंह अलग-अलग दलों से मैदान में हैं. बच्चा सिंह यद्यपि कांग्रेस में नहीं आये हैं, लेकिन वे नीरज के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं.
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21 साल बाद फिर साथ-साथ
राजनीति इसी का नाम हैधनबाद. 21 साल बाद कांग्रेस नेता संतोष सिंह फिर बच्चा सिंह के साथ आ गये हैं. 1991 के चुनाव में जब बच्चा सिंह सजपा (समाजवादी जनता पार्टी) के उम्मीदवार थे तो संतोष सिंह उनके साथ थे. 1993 में संतोष ने सजपा छोड़ दी. 1995 के चुनाव में संतोष ने बिहार पीपुल्स […]
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