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जहां अंधेरा दिखे, वहां एक दीप जरूर जलायें : दीप्ति जयराज

फोटो दीप्ति जयराज —धनबाद फोल्डर में टीफ बचपन की दीवालीदीपावली का त्योहार सच में खुशियों भरा होता है. अपनी खुशियों के बीच दूसरों की खुशी का भी ध्यान रखना चाहिए. अश्विन और कार्तिक माह अपने साथ त्योहारों का मेला लेकर आता है. दुर्गा पूजा से त्योहार शुरू होता है जो छठ समाप्त होने तक चलता […]

फोटो दीप्ति जयराज —धनबाद फोल्डर में टीफ बचपन की दीवालीदीपावली का त्योहार सच में खुशियों भरा होता है. अपनी खुशियों के बीच दूसरों की खुशी का भी ध्यान रखना चाहिए. अश्विन और कार्तिक माह अपने साथ त्योहारों का मेला लेकर आता है. दुर्गा पूजा से त्योहार शुरू होता है जो छठ समाप्त होने तक चलता है. मुझे दीपावली का त्योहार पसंद है, लेकिन पारंपरिक तरीके से. हमारे केरला में दीपावली का त्योहार उतने उत्साह से नहीं मनाया जाता था. हमारे बचपन की दीवाली कुछ खास नहीं थी. कुछ जगहों पर टीवी देख कर दीवाली की शुरुआत हुई थी. हम भी अपने पैरेंट्स से दीपावली में दीये और पटाखे के लिए जिद करते. पैरेंट्स बच्चों वाले पटाखे लाकर देते थे. मैं धूम-धड़ाम वाले पटाखे से दूर रहती थी. फुलझड़ी चलाना, घरों में दीये जलाना मुझे अच्छा लगता था. शादी के जब इधर आयी तो जाना झारखंड-बिहार की दीवाली कितनी धमाकेदार होती है. पारंपरिक तरीके से दीवाली मनाना मुझे पसंद है. दीपावली के दिन संध्या में लक्ष्मी माता और गणेश भगवान की पूजा के बाद परिवार के साथ फूलझड़ी व कम आवाज वाले पटाखे चलाती हूं. मैं सबों से कहना चाहती हूं कि दीपावली में हर चेहरे पर मुस्कान हो. हां इस बात का ध्यान जरूर रखें, जहां अंधेरा दिखे, वहां एक दीप जला कर जरूर रखें. दीप्ति जयराज, संयुक्त आयुक्त केंद्रीय उत्पाद.

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