धनबाद: जमीन की खरीदारी के वक्त सतर्कता नहीं बरतने पर अकसर लोग धोखा खा जाते हैं. रुपया तो फंसता ही है कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी लगाने पड़ते हैं. जमीन के धंधे में भी माफियागीरी चल पड़ी है. एक ही जमीन को दो से तीन लोगों को बेच दी जाती है. और शुरू हो जाता है परेशानियों का सिलसिला.
पहले रजिस्ट्री विभाग में सर्च करायें : जमीन खरीदने के पहले उसका सर्च कराये. इसके लिए कोई खास कीमत भी नहीं चुकानी पड़ती. रजिस्ट्री विभाग में 70 रुपया शुल्क निर्धारित है. यह एक साल तक सर्च की कीमत है. अगर आप दस साल तक का सर्च कराना चाहते हैं तो उसके लिए 700 रुपया भुगतान करना होगा. जमीन खरीदने से पहले यह जानकारी लें कि डीड कब का बना है. उस जमीन का मालिकाना हक किसका है. उसके बाद उसे सर्च करायें. जब डीड बना था, उसके बाद किसी को बेचा गया है या नहीं. सर्च में पूरी कुंडली मिल जाती है. पूरी प्रक्रिया के बाद जिससे जमीन लेना है उसे कुछ पैसा देकर एग्रीमेंट करायें. उसके बाद जमीन की मापी करायें. जमीन का मोटेशन करायें. उसके बाद ही जमीन की रजिस्ट्री करायें.
अंचल कार्यालय से संपर्क करें : जमीन गैरआबाद है या रैयती, इसकी जानकारी अंचल कार्यालय से मिलेगी. अगर जमीन खास गैर आबाद है तो वह सरकारी जमीन है. इसका म्यूटेशन नहीं होता. जो सर्वे में नहीं चढ़ पाया, वह आम गैर आबाद जमीन है. उसका म्यूटेशन होता है. रैयती जमीन में कोई परेशानी नहीं होती. इसका म्यूटेशन व रजिस्ट्री आसानी से होती है. आदिवासी लैंड की सिर्फ आदिवासियों के बीच ही खरीद-बिक्री होती थी. लेकिन 2011 में सरकार ने आदिवासी लैंड में 51 जातियों को और जोड़ा है. इनके बीच भी खरीद-बिक्री हो सकती है.