कोल इंडिया से अलग होगा सीएमपीडीआइ

एस कुमार, धनबाद : केंद्र सरकार ने रांची स्थित कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई सेंट्रल माइंस प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट (सीएमपीडीआइ) को डीमर्ज कर स्वतंत्र कंपनी बनाने के लिए टाइम लाइन तय कर दिया है. इस संबंध में कोल मंत्रालय के संयुक्त सचिव बीपी पति ने कोल इंडिया चेयरमैन को पत्र भेजा है. इधर यूनियन […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 24, 2019 7:47 AM

एस कुमार, धनबाद : केंद्र सरकार ने रांची स्थित कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई सेंट्रल माइंस प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट (सीएमपीडीआइ) को डीमर्ज कर स्वतंत्र कंपनी बनाने के लिए टाइम लाइन तय कर दिया है. इस संबंध में कोल मंत्रालय के संयुक्त सचिव बीपी पति ने कोल इंडिया चेयरमैन को पत्र भेजा है. इधर यूनियन नेताओं ने सरकार के इस निर्णय को राष्ट्र विरोधी बताते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है.

डीमर्जर से लाभ : उपलब्ध दस्तावेज के मुताबिक सीएमपीडीआइ को डीमर्ज (अलग) कर कोल मंत्रालय के अंतर्गत करते हुए एक पेशेवर, कुशल और स्वतंत्र कंपनी बनाना है. प्रस्तावित कंपनी अन्वेषण एवं ड्रिलिंग को प्राथमिकता दे सकती है.
स्वतंत्र पहचान होने से कोल इंडिया के उत्पादन करने वाली कंपनियों के साथ पारदर्शी संबंध बनेगा. इससे देश और वैश्विक स्तर पर सीएमपीडीआइ बतौर खनन सलाहकार एक प्रमुख संगठन बन सकता है.
बदलेगा कोल इंडिया का स्वरूप भी : अगर सरकार सीएमपीडीआइ के डीमर्जर में सफल रही तो कोल इंडिया का स्वरूप बदल जायेगा. सरकार अगले चरण में 100 मिलियन टन से अधिक कोयला उत्पादन करने वाली एनसीएल, एमसीएल और एसइसीएल को कोल इंडिया से अलग कर स्वतंत्र कंपनी बनायेगी.
कोल इंडिया में बीसीसीएल, इसीएल, सीसीएल और डब्ल्यूसीएल रहेगी. एक सीएमडी, एक डीपी और एक डीटी होंगे. इस पर ऑल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन (सीटू) के महासचिव डीडी रामनंदन कहते हैं कि सीएमपीडीआइ एक प्रयोग है. इसकी सफलता-असफलता पर कोल इंडिया और इसके मजदूरों का भविष्य टिका हुआ है.
27 को रांची में मीटिंग : एटक नेता अशोक यादव के मुताबिक इस मुद्दे पर 27 जुलाई को रांची में एटक, सीटू, और एचएमएस की बैठक होगी, जिसमें आंदोलन की रुपरेखा तय की जायेगी.
टाइम लाइन : दस्तावेज में टाइम लाइन तो है पर डेट लाइन नहीं है. एक सप्ताह में कोयला मंत्री डीमर्जर की अनुमति देंगे. एक सप्ताह में सलाहकार की नियुक्ति होगी. एक महीने में फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार होगी. वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के परामर्श से कैबिनेट के लिए ड्राफ्ट तैयार होगा.

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