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छाेटे कारोबारियों के लिए बड़ा प्लेटफॉर्म ”ट्रैकडील”
धनबाद : 300 से अधिक स्थानीय कारोबारी. सैकड़ों उत्पाद व सर्विस. और 4000 से अधिक रेगुलर सदस्य. एनआइटी दुर्गापुर और आइआइटी आइएसएम धनबाद के छात्रों का महज दो साल पुराना स्टार्टअप ट्रैकडील ई-कॉमर्स बिजनेस के क्षेत्र में नयी परिभाषा गढ़ रहा है. ट्रैकडील के दो साल के रिपोर्ट कार्ड से उत्साहित छात्र विक्रेता और ग्राहक, […]
धनबाद : 300 से अधिक स्थानीय कारोबारी. सैकड़ों उत्पाद व सर्विस. और 4000 से अधिक रेगुलर सदस्य. एनआइटी दुर्गापुर और आइआइटी आइएसएम धनबाद के छात्रों का महज दो साल पुराना स्टार्टअप ट्रैकडील ई-कॉमर्स बिजनेस के क्षेत्र में नयी परिभाषा गढ़ रहा है. ट्रैकडील के दो साल के रिपोर्ट कार्ड से उत्साहित छात्र विक्रेता और ग्राहक, दोनों को एक प्लेटफाॅर्म पर लेकर आ रहे हैं.
आम इ-कॉमर्स कंपनियों के उलट यहां केवल स्थानीय कारोबारियों का उत्पाद ही नहीं मिलेगा, बल्कि स्वास्थ्य, रेस्टोरेंट और कोचिंग जैसी सेवाएं भी ली जा सकेंगी. फिलहाल ट्रैकडील ऑफलाइन संचालित है. दो माह में ऑनलाइन बाजार में आने की कार्ययोजना है. टीम लीडर सोनू कुमार पंडित कहते हैं, ‘हमारा स्टार्टअप समाज के सभी वर्ग के लोगों की जरूरतों को पूरा करता है.
दो सालों में हमने बेहतर प्रदर्शन किया है. आने वाले दिनों में ट्रैकडील के नाम से ऐप लाने वाले हैं. वहीं ग्रामीण सदस्यों के लिए हम ऑफलाइन कूपन बेचना जारी रखेंगे.’ ट्रैकडील के रेगुलर सदस्यों को सभी उत्पाद और सेवाओं पर आकर्षक छूट मिलती है. सोनू की मानें तो अगले दो महीने में यह स्टार्टअप कोलकता, पुणे, बेंगलुरू जैसे बड़े शहरों में पहुंच जायेगा.
आइआइटी आइएसएम और एनआइटी दुर्गापुर के छात्रों का संयुक्त प्रयास
कुछ यूं हुई शुरुआत
ट्रैकडील की शुरूआत दो साल पहले डिस्काउंट बाजार के नाम से हुई थी. स्टार्टअप का आइडिया एनआइटी दुर्गापुर से एमबीए करने वाले सोनू कुमार पंडित की थी. सोनू ने सबसे पहले आइडिया के बारे में अपने दोस्त व एनआइटी दुर्गापुर से टेलीकॉम इंजीनियरिंग से बीटेक कुशल घोष, आइआइटी आइएसएम से बीटेक आयुष केजरीवाल और आइआइटी आइएसएम के रिसर्च स्कॉलर राजवर्धन से शेयर किया. सोनू के आइडिया में सभी दोस्तों को दम नजर आया. इसके बाद सोनू ने एमएनसी की नौकरी छोड़ अपने आइडिया पर काम शुरू किया. बैंक से दो लाख रुपये लोन और कुछ दोस्तों से मदद लेकर काम शुरू किया. काम शुरू होने के बाद दो और दोस्त सत्यन दास गुप्ता और अरुण कुमार जुड़े.
ऑफलाइन से ऑनलाइन का सफर
ऑफलाइन कारोबार से स्टार्टअप की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी. डिस्काउंट बाजार नाम दिया गया. शुरुआती तौर में एक कूपन 2500 रेगुलर सदस्यों में नि:शुल्क बांटा गया. बाद में बने 1500 सदस्यों से 800 रुपये प्रति कूपन के हिसाब से चार्ज लिया गया. इसकी वैलिडिटी चार साल के लिए होती है. वहीं प्लेटफॉर्म से जुड़ने वाले कारोबारियों के लिए 2500 रुपये रजिस्ट्रेशन फी रखा गया.
यह चार्ज एक बार लिया जाता है. बदले में इन दुकानदारों, अस्पतालों और रेस्टोरेंट्स को कंपनी के सदस्यों के रूप में रेगुलर कस्टमर मिल जाते हैं. इन रेगुलर सदस्यों को ये कारोबारी विशेष छूट देते हैं. आज धनबाद के कई मॉल, मल्टी ब्रांड कपड़ों के स्टोर, अधिकतर बड़े प्राइवेट अस्पताल, रेस्टोरेंट और कोचिंग संस्थान इससे जुड़े हुए हैं.
सबसे अधिक ग्रामीण सदस्य
दो सालों में कंपनी ने सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में रेगुलर सदस्य बनाये हैं. वे इस कूपन का सबसे अधिक इस्तेमाल अस्पतालों में कर रहे हैं. वहां उन्हें आकर्षक छूट मिल जाता है. कुल सदस्यों में 60 फीसदी ग्रामीण क्षेत्र से हैं. अभी वार्षिक कारोबार 10 लाख रुपये है. कूपन की सफलता के बाद कंपनी ऑनलाइन कारोबार में भी उतरने जा रही है.
अगले दो महीने में कार्य शुरू हो जायेगा. इसके लिए ट्रैकडील नाम का मोबाइल एप्लीकेशन तैयार किया गया है. इसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है. ट्रैकडील के अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए आइआइटी आइएसएम के प्लेसमेंट सेल ने अपने परिसर के इंक्यूवेशन सेंटर में जगह दी है.
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