धनबादः नगर निगम में होर्डिग्स कंपनियों का अपना सिक्का चलता है. ये कंपनियां न ही निगम को शुल्क दे रही है और न ही तय शर्तो के अनुसार चौक-चौराहों व लाइट का मेन्टेनेंस ही कर रही है. नगर निगम बोर्ड के गठन के बाद होर्डिग्स कंपनियों की पोल खुली. बोर्ड की बैठक में तीनों होर्डिग्स कंपनियों का एग्रीमेंट रद्द किया गया. बोर्ड के निर्णय के आलोक में होर्डिग्स कंपनियों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. पिछले दो साल से मामला हाई कोर्ट में है. इस दौरान तीन प्रशासक आये लेकिन किसी ने होर्डिग्स कंपनियों पर कार्रवाई नहीं की.
क्या है मामला
-स्कोप व सेलवेल के साथ निगम का पांच साल के लिए एग्रीमेंट वर्ष 2003 में हुआ. एक-एक सौ होर्डिग लगाने की अनुमति मिली. सालाना दो-दो लाख रुपया शुल्क व चौक-चौराहों व स्ट्रीट लाइट का मेन्टेनेंस करना था.
-जुलाई 2008 में दोनों कंपनियों ने एग्रीमेंट का नवीकरण कराया. जबकि एग्रीमेंट खत्म होने में अभी एक माह बचा हुआ था. यही नहीं नवीकरण सात साल के लिए किया गया.
-वर्ष 2008 में आइडिया प्रचार के साथ निगम ने एग्रीमेंट किया. आइडिया प्रचार को भी सात साल के लिए एग्रीमेंट किया गया.
-वर्ष 2010 में बोर्ड के गठन के बाद होर्डिग्स कंपनियों की पोल खुली. मामला बोर्ड में आया. एग्रीमेंट रद्द हुआ. अब मामला हाई कोर्ट में है.