सुहाग का जोड़ा पहन होलिका दहन स्थान की पूजा करती हैं नव ब्याहताएं
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नव ब्याहताओं के लिए होता है खास गणगौर
सुहाग का जोड़ा पहन होलिका दहन स्थान की पूजा करती हैं नव ब्याहताएं धनबाद : मारवाड़ी समुदाय में गणगौर माता की पूजा होलिका दहन के दूसरे दिन शुरू हो जाती है. नव ब्याहताओं के लिए गणगौर की पूजा खास होती है. पूजा को लेकर कोयलांचल की नव ब्याहताआें में भारी उत्साह है. होलिका दहन के […]
धनबाद : मारवाड़ी समुदाय में गणगौर माता की पूजा होलिका दहन के दूसरे दिन शुरू हो जाती है. नव ब्याहताओं के लिए गणगौर की पूजा खास होती है. पूजा को लेकर कोयलांचल की नव ब्याहताआें में भारी उत्साह है. होलिका दहन के दिन नव ब्याहताएं सुहाग जोड़ा पहन कर, सोलह शृंगार में सुहागिनों के साथ होलिका दहन वाले स्थान पर जाती हैं.
उसकी पूजा करती हैं. होलिका दहन वाली अग्नि के चार फेरे लेती हैं. दूसरे दिन वहां से राख लाकर आठ गणगौर बनाती हैं. सोलह दिनों तक गणगौर की पूजा होती है. पूजा के आठवें दिन कुम्हार के घर से मिट्टी लाती हैं. उससे बड़ी गणगौर माता बनाती है. सोलहवें दिन बड़ी मठरी बनायी जाती है. उस पर सासू मां के कपड़े रखकर हाथ फिराते हुए गणगौर माता से कहती हैं कि मेरा सुहाग अमर रहे. पूजा के अंतिम दिन सभी सुहागिन औरतें मिल कर गणगौर माता की पूजा करती हैं गीत गाती हैं, ‘गौर ए गणगौर माता खोल किवाड़ी…’ संध्या समय गणगौर माता को पानी पिलाकर सभी सुहागिनें मिलकर उसे नदी या तालाब में विसर्जित कर लेती हैं. घर पहुंच कर गीत गाती हैं. उत्सव मनाती हैं. एक दूसरे का मुंह मीठा कराती हैं. वधुओं को उपहार दिया जाता है. आशीष दी जाती है.
अंतिम दिन मनाती हैं सिंधारा : गणगौर के अंतिम दिन सिंधारा मनायी जाती है. पूरा उत्साह का माहौल रहता है. महिलाएं लड़कियां सभी हाथों में मेहंदी रचाती हैं. पकवान बनाती है. भाई का बिंदोरा निकालती हैं. भाई बहनों को नेग देता है.
कहती हैं महिलाएं
हम गणगौर माता की पूजा कर सदा सुहागन रहने का आशीष मांगते हैं. साथ ही हमारा संसार हमेशा हरा-भरा रहे, पति की लंबी आयु हो, यह कामना करते हैं.
किरण अग्रवाल, शांति भवन
पूरे नियम से हम गणगौर माता का आह्वान करते हैं. सुबह-शाम उनकी पूजा करते हैं. गीत गाते हैं. सोलहवें दिन पूजा के बाद मां को विदाई देते हैं.
सुनीता बंसल, गोविंदपुर
मारवाड़ी समुदाय में जिसकी नयी शादी होती है, उसके लिए गणगौर पूजा खास होता है. पूरा परिवार पहले से तैयारी में लग जाता है. घर में उत्सव का माहौल रहता है.
रिंकी अग्रवाल, कोलाकुसमा
गणगौर जैसे-जैसे करीब आने लगता है कितनी यादें ताजा हो जाती हैं. बचपन में जब घर में नयी शादी पर सुहागिनों को गणगौर पूजते देखती थी तो अच्छा लगता था.
बिंदिया मोदी, बैंकमोड़
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