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झारखंड : देश को मोदी सरकार से मुक्ति चाहिए : येचुरी

विदेशी पूंजी पर निर्भरता देश के स्वाभिमान के खिलाफ धनबाद : सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि अब देश को मोदी सरकार से मुक्ति चाहिए. क्योंकि इस सरकार की नीतियों से देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण बढ़ रहा है. युवाओं में बेरोजगारी और बेचैनी फैल रही है. जो खतरनाक है. अगर युवाओं को सकारात्मक […]

विदेशी पूंजी पर निर्भरता देश के स्वाभिमान के खिलाफ
धनबाद : सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि अब देश को मोदी सरकार से मुक्ति चाहिए. क्योंकि इस सरकार की नीतियों से देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण बढ़ रहा है. युवाओं में बेरोजगारी और बेचैनी फैल रही है. जो खतरनाक है. अगर युवाओं को सकारात्मक कार्यों में नहीं लगाया गया तो गलत राह पर चल पड़ेंगे. जिससे भविष्य में रोज नये-नये खतरे पैदा होंगे. येचुरी गुरुवार को न्यू टाउन हॉल में पत्रकारों से बात कर रहे थे. इस मौके पर पार्टी के राज्य सचिव जीके बक्सी, असीम हलधर और शुभम उपस्थित थे.
सबसे गंदी राजनीति : मोदी साहब अच्छे सुझाव नहीं मानते. उनका सिर्फ एक एजेंडा है. वह समाज को बांट कर चुनावी लाभ लेने के प्रयास में लगे हैं. यह अब तक की सबसे गंदी राजनीति है. 2019 के अाम चुनाव में वैकल्पिक कार्यक्रम के अाधार पर वाम जनवादी व धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ गठबंधन कर इस चुनौती का मुकाबला करेंगे.
एफडीआइ की आलोचना : मोदी साहब को देश के विकास, किसानों की समस्या आदि की कोई चिंता नहीं है. उन्हें सिर्फ चिंता है, तो यह कि पूंजीपतियों को लाभ कैसे पहुंचे व देश में विदेशी पूंजी कैसे आये. इसके लिए उन्होंने एअर लाइन, खुदरा व्यापार और रियल स्टेट में एफडीआइ की अनुमति देकर देश को नये साल की सौगात दी है. विदेशी पूंजी पर निर्भरता देश के स्वाभिमान के खिलाफ है.
एनपीए पर एक्शन नहीं : मोदी सरकार एनपीए पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. किसान आत्महत्या कर रहे हैं. किसानों को पैदावार का न्यूनतम मूल्य नहीं मिल रहा है. जबकि सरकार ने देने का वादा किया था. किसानों का अनाज एफसीआइ खरीद नहीं रहा है. कई राज्यों ने किसानों के कर्ज माफ करने की घोषणा की. पर आज तक लागू नहीं हो पाया.
तीन तलाक गलत, मगर…
तीन तलाक पर पार्टी का स्टैंड क्लियर है. तीन तलाक गलत है. समाप्त होना चाहिए. लेकिन इस सरकार ने जो कानून लाया है वो भी गलत है. इस पर चर्चा होना चाहिए. पति के जेल जाने पर महिला और बच्चों का भरण-पोषण कौन करेगा? क्या सरकार पैसा देगी.
सीपीआइ-सीपीएम विलय: सीपीआइ का कहना है कि दोनों पार्टी (सीपीआइ और सीपीएम) के उच्च नेताओं में बातचीत के बाद विलय हो जाये. जबकि हमारा मानना है नीचे के जन संगठन आंदोलन साथ-साथ करें. ट्रेड यूनियन में यह हो रहा है.

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