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बिल अधिक और इलाज जैसे-तैसे
धनबाद : कोलाकुसमा के एक क्लिनिक में गोमो निवासी बलराम महतो को प्वाइजनिंग के बाद भर्ती कराया गया. आठ दिन में 22 हजार का बिल बना. डिस्चार्ज के वक्त परिजनों ने जब बिल को ज्यादा बताया, तो क्लिनिक संचालक का जवाब था कि आठ दिनों तक मरीज आइसीयू में रहा है. प्रतिदिन दो हजार के […]
धनबाद : कोलाकुसमा के एक क्लिनिक में गोमो निवासी बलराम महतो को प्वाइजनिंग के बाद भर्ती कराया गया. आठ दिन में 22 हजार का बिल बना. डिस्चार्ज के वक्त परिजनों ने जब बिल को ज्यादा बताया, तो क्लिनिक संचालक का जवाब था कि आठ दिनों तक मरीज आइसीयू में रहा है.
प्रतिदिन दो हजार के हिसाब से 16 हजार रुपये. बाकी चिकित्सक के राउंड के पैसे लगे हैं. जबकि परिजनों का कहना था कि क्लिनिक में आइसीयू नाम की कोई चीज नहीं थी. वार्ड पूरी तरह से जेनरल जैसा ही था. परिजनों ने इसकी शिकायत सिविल सर्जन से भी की. दरअसल, कोयलांचल में ऐसे कई नर्सिंग होम व क्लिनिक खुल गये हैं, जो न मानकों के अनुरूप हैं और न जहां चिकित्सक व प्रशिक्षित कर्मचारी ही हैं. ऐसे में आम मरीजों की गाढ़ी कमाई लूट ली जाती है.
बिना जांच के ही कर दिये लाइसेंस निर्गत : क्लिनिक इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत इन नर्सिंग होम या क्लिनिकों को स्वास्थ्य विभाग ने लाइसेंस तो निर्गत कर दिया है, लेकिन फिजिकल वेरिफिकेशन नहीं किया जाता है. इस वर्ष भी 350 से अधिक नर्सिंग होम व क्लिनिकों को विभाग की ओर से रिनुअल किया गया, लेकिन रिनुअल के समय भी फिजिकल वेरिफिकेशन नहीं किये गये. यही कारण है कि कई नर्सिंग होम व क्लिनिक के पास अपने चिकित्सक नहीं हैं. यहां तक कि नर्सिंग होम में जरूरत के सामान भी नहीं हैं.
क्लिनिकों ने बताया अधिकांश कर्मी हैं अस्थायी
नर्सिंग होम व क्लिनिकों में अधिकांश कर्मी प्रशिक्षित भी नहीं है. डिग्रीधारी ट्रेंड नर्स भी यहां नहीं हैं.जबकि इन्हीं कर्मियों पर ही मरीजों की देखभाल का जिम्मा होता है. कुछ जगहों पर यह कर्मी पैथोलॉजी से लेकर रेडियोलॉजी का काम भी कर रहे हैं. यही कारण है कि नर्सिंग होम व क्लिनिक संचालक अपने यहां स्थायी कर्मी की जगह अस्थायी कर्मी रखते हैं. स्वास्थ्य विभाग को दिये हलफनामा में अधिकांश नर्सिंग होम व क्लिनिक ने अस्थायी कर्मी की ही जानकारी दी है.
पीएमसीएच की आइसीयू में अव्यवस्था का आलम
पीएमसीएच की आइसीयू में मानकों के अनुसार सभी तरह के उपकरण व मशीन लगाये गये हैं. लेकिन अव्यवस्था के कारण मरीजों को सहूलियत नहीं मिल पा रही हैं. आइसीयू में लगे मॉनिटर को कभी-कभार ही चलाया जाता है. यही हाल प्वाइजनिंग वार्ड में लगे मॉनिटर का भी है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी यहां निरीक्षण करने तो आते हैं, लेकिन नर्सिंग होम व क्लिनिक में कभी निरीक्षण नहीं होता.
हर जगह निजी अस्पताल बरगला रहे लोगों को
कोयलांचल के हर गली-मुहल्लों में इन दिनों निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लिनिक, पॉली क्लिनिक, जांच सेंटर खोले जा रहे हैं. कुछ चिकित्सक अपने बोर्ड पर काॅर्डियोलॉजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट, ऑर्थो आदि लिख कर मरीजों को भरमाते हैं. दिन में इन जगहों में बाहर से चिकित्सकों को बुलाकर मरीज को दिखवा दिया जाता है. लेकिन रात में कुछ जगहों को छोड़कर अधिकांश जगहों में चिकित्सक नहीं मिलते हैं. यहां मरीज को आने के बाद अस्पाल कर्मी ही भर्ती कर लेते हैं.
जिले के नर्सिंग होम व क्लिनिकों की काफी शिकायत मिल रही है. ऐसे में औचक निरीक्षण किया जायेगा. इसके लिए टीम तैयार की जा रही है. मानकों को पूरा नहीं करने पर कारवाई होगी.
डॉ ए एक्का, सीएस, धनबाद
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