धनबाद : शहीद रणधीर वर्मा के 27वें शहादत दिवस पर कबीर गायन की विविध शैलियों में अनोखी प्रस्तुतियों से श्रद्धांजलि सभा संगीतमय हो गयी. मंच पर कबीर को सूफियाना अंदाज में प्रस्तुत करने और शहीद रणधीर वर्मा पर खासतौर से तैयार वीर रस के गीतों ने ओज प्रदान किया. दरभंगा घराने की ज्योत पंकज दुबे सहय़ोगियों के साथ थे तो दूसरी तरफ भक्तिरस के गीतों से श्रोताओं को सराबोर करने वाले अमरजी सिन्हा थे. पंकज दुबे ने जब ‘वक्त है
आखिर, सांस भी आखिरी, मेरी जिंदगी की सांस आखिरी आखिरी…’ और ‘रहना नहीं, देस वीराना है…’ पेश किया तो उसके स्वर की बारीकी ने लोगों को चकित कर दिया और पूरे माहौल को गमगीन. अमरजी सिन्हा के भावमय भजनों के बाद एक बार फिर पंकज दुबे ने मंच संभाला तो “छाप
तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइ के… “, “दिल के मंदिर में तुझको
बिठाके, दीनों ईमान तुझपे लुटाके…” जैसी प्रस्तुतियों के साथ कार्यक्रम पर सूफियाना रंग चढ गया. दिल्ली, बनारस और हजारीबाग से आये सह गायकों स्नेह आशीष दुबे, स्नेह प्रयाग दुबे और अभिनव कुमार दुबे के कारण सूफी-कबीर संगीत में चार चांद
लगा दिये.
केके श्रीवास्तव की कमी खली : 27 सालों में यह पहला मौका था, जब प्रख्यात सांस्कृतिक कर्मी और उद्घोषक केके श्रीवास्तव की अनुपस्थिति में संगीतमय श्रद्धांजलि का कार्यक्रम हुआ. प्रो रीता वर्मा ने भी उनकी कमी बताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी. कार्यक्रम के आरंभ में रणधीर वर्मा मेमोरियल सोसाइटी के अध्यक्ष किशोर कुमार ने कलाकारों और अतिथियों का स्वागत किया.
कर्मयोद्धा थे रणधीर वर्मा : जलेश्वर महतो
पूर्व मंत्री जलेश्वर महतो ने कहा कि वह कर्मयोद्धा थे. इस तरह के प्रशासनिक पदाधिकारी विरले ही होते हैं. उनमें महापुरुष जैसे सारे गुण थे. कहा कि धनबाद एक बार फिर अशांत हो चुका है. मुख्यमंत्री से उन्होंने शिकायत की तो जवाब आया कि तीन-तीन एसपी दिये हैं. बाघमारा विधायक का बगैर नाम लिये उन्होंने आलोचना की. श्री महतो ने कहा कि अभी के तीन-तीन एसपी भी एक रणधीर वर्मा के समान नहीं थे.