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बीसीसीएल: नौ माह में लक्ष्य का 50 फीसदी ही उत्पादन

धनबाद: चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 की समाप्ति में महज 100 दिन शेष हैं. एेसे में लक्ष्य से पीछे चल रहे बीसीसीएल प्रबंधन की परेशानी बढ़ गयी है. चालू वित्तीय वर्ष के नौ माह की समाप्ति में 10 दिन शेष है, बावजूद कंपनी अपने लक्ष्य का 50 फीसदी ही उत्पादन कर सकी है. अब यहां सवाल […]

धनबाद: चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 की समाप्ति में महज 100 दिन शेष हैं. एेसे में लक्ष्य से पीछे चल रहे बीसीसीएल प्रबंधन की परेशानी बढ़ गयी है. चालू वित्तीय वर्ष के नौ माह की समाप्ति में 10 दिन शेष है, बावजूद कंपनी अपने लक्ष्य का 50 फीसदी ही उत्पादन कर सकी है. अब यहां सवाल उठ रहे हैं कि जिस कंपनी को अपने लक्ष्य का 50 फीसदी उत्पादन करने में नौ माह का वक्त लग गया, वह बचे महज तीन माह में ही उत्पादन लक्ष्य का बचा 50 फीसदी कैसे प्राप्त कर सकेगी?
अबतक 20.60 मिलियन टन हुआ उत्पादन : बीसीसीएल अबतक 20.60 मिलियन टन कोयले का उत्पादन कर सका है, जबकि वार्षिक लक्ष्य 40.50 मिलियन टन कोयला उत्पादन का है. यानी लक्ष्य प्राप्ति के लिए कंपनी को 19.90 मिलियन टन कोयला का उत्पादन करना शेष है. आधिकारिक सूत्रों की मानें तो कंपनी को यह लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन दो लाख टन कोयला उत्पादन करना होगा. जबकि वर्तमान में एक लाख से एक लाख 20 हजार टन ही कोयले का उत्पादन संभव हो पा रहा है. वहीं डिस्पैच की बात करे तो कंपनी का वार्षिक डिस्पैच लक्ष्य 40.50 मिलियन टन है, जबकि कंपनी ने अब तक 22.55 मिलियन टन ही डिस्पैच किया है. यानी लक्ष्य के मुताबिक 17.95 मिलियन टन कोयला तीन माह में डिस्पैच करने हैं. डिस्पैच लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बीसीसीएल को औसतन एक लाख 80 हजार टन कोयला प्रतिदिन डिस्पैच करने होंगे, जबकि वर्तमान समय में 95 हजार से एक लाख टन कोयला ही डिस्पैच हो पा रहा है.
उत्पादन-डिस्पैच प्राप्ति को ले सीएमडी गंभीर
बीसीसीएल अपने वार्षिक लक्ष्य से न पिछड़ जाये, इसको लेकर कंपनी के सीएमडी अजय कुमार सिंह गंभीर हैं. हर रोज कंपनी के निदेशक व खुद किसी न किसी एरिया का निरीक्षण कर उत्पादन, उत्पादकता व डिस्पैच की जानकारी ले रहे हैं. जहां-जहां कमियां है वहां सुधार करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश भी दिये जा रहे है. बावजूद कंपनी लक्ष्य के मुताबिक उत्पादन नहीं कर पा रही है, जो उच्च प्रबंधन के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.
फरवरी-मार्च में बढ़ गया था उत्पादन
पिछले वित्तीय वर्ष के अंतिम दो माह में यानी फरवरी व मार्च (2017) में बीसीसीएल के जो एरिया अपने मासिक व प्रतिदिन के उत्पादन लक्ष्य का 50-60 फीसदी भी उत्पादन नहीं कर पा रहे थे, उन सभी एरिया का उत्पादन इन दो माह (फरवरी, मार्च-2017) में अचानक बढ़ कर 200-250 फीसदी हो गया था. जिसकी जांच विजिलेंस विभाग द्वारा की जा रही है कि आखिर सेम परियोजना, वही मैनपावर व मशीन, फिर अचानक उत्पादन में बढ़ने के की वजह क्या है. कहीं लक्ष्य को हासिल करने के लिए ओवर रिपोर्टिंग का खेल तो नहीं खेला गया?
लक्ष्य प्राप्ति को ओवर रिपोर्टिंग का सहारा तो नहीं? :
बीसीसीएल मुख्यालय से लेकर एरिया व कोलियरी स्तर पर यह बात चर्चा का विषय बनी है कि जब कंपनी को वार्षिक लक्ष्य का 50 फीसदी उत्पादन में नौ माह लग गये तो बचे 50 फीसदी के लक्ष्य प्राप्ति को लेकर कहीं ओवर रिपोर्टिंग का सहारा तो नहीं लिया जायेगा?

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