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एयरपोर्ट की दौड़ में फिर पिछड़ा धनबाद

धनबाद: कॉमर्शियल एयरपोर्ट की रेस में धनबाद एक बार फिर पिछड़ गया है. यहां एयरपोर्ट न तो केंद्र सरकार के एजेंडे में है और न ही राज्य सरकार के. केंद्र सरकार द्वारा नये एयरपोर्ट के लिए चयनित शहरों में धनबाद का नाम नहीं है. क्यों जरूरी है एयरपोर्ट : धनबाद, जो कोयला राजधानी के रूप […]

धनबाद: कॉमर्शियल एयरपोर्ट की रेस में धनबाद एक बार फिर पिछड़ गया है. यहां एयरपोर्ट न तो केंद्र सरकार के एजेंडे में है और न ही राज्य सरकार के. केंद्र सरकार द्वारा नये एयरपोर्ट के लिए चयनित शहरों में धनबाद का नाम नहीं है.
क्यों जरूरी है एयरपोर्ट : धनबाद, जो कोयला राजधानी के रूप में जाना जाता है, में डोमेस्टिक एयरपोर्ट तक नहीं है. जबकि इससे छोटे शहरों में हवाई सेवा उपलब्ध है. धनबाद में बीसीसीएल, सिंफर, सीएमपीएफ, डीजीएमएस जैसे केंद्र सरकार के कई बड़े दफ्तर है. आइआइटी धनबाद, बीआइटी सिंदरी जैसे बड़े शैक्षणिक संस्थान है. इन संस्थानों के अधिकारी अक्सर कोलकाता या रांची जा कर हवाई सफर शुरू करते हैं. एयरपोर्ट नहीं होने के कारण बाहर से फैकल्टी जल्दी आइआइटी, बीआइटी में नहीं आना चाहती. कोयला कंपनी में भी बाहर से यहां जल्दी बड़े बिजनेसमैन नहीं आना चाहते. साथ ही यहां कोई बड़े डॉक्टर भी नहीं आना चाहते. एयर एंबुलेंस तक नहीं उतर पाता है.
सारा अभियान टांय-टांय फिस : धनबाद में एयरपोर्ट के लिए सारा अभियान टांय-टांय फिस हो रहा है. इसके पीछे स्पष्ट रणनीति का अभाव माना जाता है. कोई भी संगठन कुछ दिनों के लिए अभियान चला कर शांत बैठ जाता है. जबकि इसके लिए लंबी लड़ाई या आंदोलन की जरूरत है. जब कोई आंदोलन तेज पकड़ता है तो कुछ न कुछ घोषणाएं हो जाती हैं. फिर सब शांत पड़ जाते हैं.

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