अब जो बिल उन्हें थमाया गया, उसे देख पूरा परिवार सकते में हैं. इस बार का बिल एक लाख, 10 हजार रुपये का है. फिर उन्होंने कार्यपालक अभियंता रवि प्रकाश से शिकायत की तो उनके कहने पर श्री साव ने 240 रुपये की रसीद कटवायी और मीटर जांच के लिए भेजा. यहां भी उन्हें एक-दो माह के मीटर की जांच कर छोड़ दिया गया. एमआरटी में कहा गया कि वे लोग दो से तीन माह का ही का बिल जांच कर सकते हैं. मीटर जंप करने की बात सभी दबी जुबान से कर रहे हैं, लेकिन बिल गड़बड़ है और उस पर क्या कार्रवाई हो सकती है, इस दिशा में कोई पहल करने को तैयार नहीं है. श्री साव का उपभोक्ता संख्या – जीआरडी 695 है.
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ऊर्जा विभाग में डिजिटल इंडिया फेल, मीटर दिखा रहा नया-नया खेल, तीन सौ की जगह थमा दिया 1.10 लाख का बिल
धनबाद: केंद्र सरकार ने डिजिटल इंडिया पर जोर दिया है. लेकिन धनबाद के ऊर्जा विभाग में यह फेल नजर आ रहा है. रोज उपभोक्ताओं की लाइन दफ्तर में दस्तक देती नजर आ रही है. उनकी शिकायत है कि उनका बिजली बिल अनियमित आ रहा है. थोड़ा-मोड़ा अधिक नहीं, बल्कि हजारों व लाख में अधिक आ […]
धनबाद: केंद्र सरकार ने डिजिटल इंडिया पर जोर दिया है. लेकिन धनबाद के ऊर्जा विभाग में यह फेल नजर आ रहा है. रोज उपभोक्ताओं की लाइन दफ्तर में दस्तक देती नजर आ रही है. उनकी शिकायत है कि उनका बिजली बिल अनियमित आ रहा है. थोड़ा-मोड़ा अधिक नहीं, बल्कि हजारों व लाख में अधिक आ रहा है. इधर, विभाग का कहना है कि मीटर रीडिंग में आये बिल को भुगतान करना ही पड़ेगा.
गांधी नगर के अशोक साव को ऊर्जा विभाग ने एक लाख, 10 हजार का बिजली बिल थमा दिया है. श्री साव का पूरा परिवार बिल सुधारने के लिए विभाग का चक्कर लगा रहा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. मार्च के बाद बिलिंग की नयी व्यवस्था शुरू होने के बाद से ऐसे दर्जनों उपभोक्ता प्रतिदिन डिवीजन ऑफिस आते हैं और उलटे पांव लौट जा रहे हैं. श्री साव को पहले हर माह ढाई से तीन सौ रुपये बिल आता था. अचानक नयी व्यवस्था के बाद उनके यहां 10 हजार का बिल आया. उसे देख पूरे परिवार का माथा ठनक गया. इसकी शिकायत करने के बाद उनके यहां एक दूसरा मीटर विभाग की ओर से लगा दिया.
अब जो बिल उन्हें थमाया गया, उसे देख पूरा परिवार सकते में हैं. इस बार का बिल एक लाख, 10 हजार रुपये का है. फिर उन्होंने कार्यपालक अभियंता रवि प्रकाश से शिकायत की तो उनके कहने पर श्री साव ने 240 रुपये की रसीद कटवायी और मीटर जांच के लिए भेजा. यहां भी उन्हें एक-दो माह के मीटर की जांच कर छोड़ दिया गया. एमआरटी में कहा गया कि वे लोग दो से तीन माह का ही का बिल जांच कर सकते हैं. मीटर जंप करने की बात सभी दबी जुबान से कर रहे हैं, लेकिन बिल गड़बड़ है और उस पर क्या कार्रवाई हो सकती है, इस दिशा में कोई पहल करने को तैयार नहीं है. श्री साव का उपभोक्ता संख्या – जीआरडी 695 है.
इसी तरह बरमसिया के काशी प्रसाद का बिल जून में 16 सौ रुपये का आया उसे उनके परिवार वालों ने जमा भी कर दिया. इसके बाद जून-जुलाई का बिल जब अगस्त में आया तो उनलोगों के होश ही उड़ गये. उनका दो माह का बिल 46 हजार रुपये का आया है. मार्च से पहले प्रति माह चार सौ रुपये का बिल आता था.
बिल तो देना ही पड़ेगा : जीएम
अब मीटर का फोटो मोबाइल से लेकर बिल भेजा जा रहा है. इसलिए इसमें गड़बड़ी की संभावना कम है. लेकिन जो बिल आ रहा है, उसे उपभोक्ता को भुगतान करना ही पड़ेगा. वैसे जिन लोगों के बिल में कोई गड़बड़ी होगी, उसे दुरुस्त करने के लिए संबंधित क्षेत्र के कार्यपालक अभियंता को निर्देश दिया गया है.
सुभाष कुमार सिंह, महाप्रबंधक
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