बच्चा एक स्वाभाविक बाल दार्शनिक होता है, लेकिन कहीं न कहीं माता-पिता के अत्यधिक दबाव, शिक्षा, कैरियर पर अत्यधिक फोकस और समाज के बदलते स्वरूप से उसका दार्शनिक चरित्र खत्म हो जाता है.
वह लाभ-हानि के नजरिये से सब कुछ देखने लगता है. आज बच्चों और युवाओं को सबसे ज्यादा संकट सोशल मीडिया से है. इससे पहले प्रबंधन अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो प्रमोद पाठक ने श्री शेषाद्रि का परिचय कराया. श्री पाठक ने श्री शेशाद्री से धनबाद में हाल में हुई घटनाओं पर भी चर्चा की. कार्यक्रम में अध्यापक, शोध छात्र-छात्राएं, एमबीए व एमटेक के छात्र-छात्राओं समेत गणमान्य लोग मौजूद थे.