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सुरेश हत्याकांड में अभियोजन नहीं पेश कर सका गवाह

धनबाद : कोयला व्यवसायी व कांग्रेस नेता सुरेश सिंह हत्याकांड की सुनवाई सोमवार को अपर जिला व सत्र न्यायाधीश 16 धनंजय कुमार की अदालत में हुई. अभियोजन की ओर से कोई गवाह प्रस्तुत नहीं किया गया. अदालत ने साक्ष्य के लिए अगली तिथि मुकरर्र कर दी. सात दिसंबर, 2011 को सुरेश सिंह नुनू सिंह के […]

धनबाद : कोयला व्यवसायी व कांग्रेस नेता सुरेश सिंह हत्याकांड की सुनवाई सोमवार को अपर जिला व सत्र न्यायाधीश 16 धनंजय कुमार की अदालत में हुई. अभियोजन की ओर से कोई गवाह प्रस्तुत नहीं किया गया. अदालत ने साक्ष्य के लिए अगली तिथि मुकरर्र कर दी. सात दिसंबर, 2011 को सुरेश सिंह नुनू सिंह के बेटे की शादी के रिसेप्शन में शामिल होने धनबाद क्लब गये थे. वहां अपराधियों ने गोली मार कर उन्हें बुरी तरह जख्मी कर दिया. बाद में उनकी मौत हो गयी. मृतक के पिता तेजनारायण सिंह के फर्दबयान पर धनबाद थाना में कांड अंकित किया गया, जिसमें शशि सिंह, संजीव सिंह व रामधीर सिंह को अभियुक्त बनाया गया.

उपभोक्ता फोरम ने 1.40 लाख भुगतान का दिया आदेश : जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष नित्यानंद सिंह, सदस्य द्वय पुष्पा सिंह व नरेश प्रसाद सिंह की तीन सदस्यीय पीठ ने सोमवार को संयुक्त रूप से एक आदेश पारित कर परिवादी कदैया टुंडी (धनबाद) निवासी संतोष सोनार के पक्ष में फैसला सुनाया. फोरम ने विपक्षी द्वय शाखा प्रबंधक इंडसइंड बैंक शास्त्री नगर धनबाद व मेसर्स इंडसइंड बैंक प्रतिनिधि पी बाला वेंकटगिरि चेन्नई को सख्त निर्देश दिया कि वे साठ दिनों के अंदर परिवादी को ट्रक का डाला लौटा दे या उसकी कीमत 1.75 लाख 20 फीसदी की कटौती कर 1.40 लाख का भुगतान कर दे. समय सीमा के अंदर भुगतान नहीं करने पर साढ़े आठ फीसदी वार्षिक ब्याज के साथ वास्तविक भुगतान की तिथि तक विपक्षीद्वय राशि देने के उत्तरदायी होंगे. फोरम ने मानसिक परेशानी एवं वाद खर्च के रूप में विपक्षीगण पांच हजार रुपये परिवादी को भुगतान करे. 22 अगस्त, 2014 को परिवादी ने विपक्षियों से अपने जीवन यापन के लिए 6.25 लाख रुपये ऋण लेकर एलपीटी ट्रक सीजीओ 4जेबी- 4246 खरीदा. उक्त ट्रक चोला एमएस नेनरल इंश्योरेंश कंपनी प्राइवेट लिमिटेड से बीमित है, जो 31.07.15 से 30.07.16 तक वैद्य है. एकरारनामा के अनुसार मासिक किस्त पच्चीस हजार प्रति माह निर्धारित थी.

परिवादी को गाड़ी का डाला बनाने में 1.75 लाख खर्च हुआ. परिवादी कुछ किस्त भुगतान नहीं कर सके. उसने 25 अगस्त, 15 को अंतिम किस्त का भुगतान किया, लेकिन विपक्षी बैंक ने 28 सितंबर 15 को गाड़ी कागजात समेत गिरिडीह में जब्त कर लिया. बाद में परिवादी ने पचास हजार रुपये विपक्षी को देकर गाड़ी छोड़ने का अनुरोध किया, परंतु वे तैयार नहीं हुए.

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