देवघर: सोमवार देर शाम सदर अस्पताल के महिला वार्ड में बांका जिले के चांदन थाना क्षेत्र के भंडरा निवासी सुनील यादव की पत्नी सुलेखा देवी (21) की मौत हो गयी. घटना के लिए परिजनों ने सदर अस्पताल की महिला चिकित्सक डॉ निवेदिता को दोषी बताया है. मृतका के ससुर देवेंद्र यादव ने बताया कि गर्भवती होने के बाद पहली बार उनकी पतोहू आठ जनवरी को इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंची थी. प्राथमिक उपचार के बाद महिला चिकित्सक अपने क्लिनिक में लेकर चली गयी.
आठ जनवरी को किया सिजेरियन : जहां उसका सिजेरियन किया गया. सप्ताह भर क्लिनिक में रखने के तकरीबन 19-20 हजार रुपये का बिल जमा लेने के बाद 15 जनवरी को उसे डिस्चार्ज किया था. घर में कुछ दिनों बाद अचानक उसे ब्लड डिस्चार्ज शुरू हुआ. घर के लोग घबरा गये. आनन-फानन में 20 जनवरी को पुन: देवघर स्थित महिला चिकित्सक के क्लिनिक मातृ मंगल में पहुंचे. जहां इलाज के बाद चिकित्सक ने महिला की निजी समस्या बतायी. कुछ दिनों बाद फिर से ब्लड डिस्चार्ज होने की शिकायत पर डॉक्टर के क्लिनिक लाये. जहां डॉक्टर ने एक बोतल खून चढ़ाया व दवा दिया. इसके लिए उन्होंने 5,000 रुपये लिये. कुछ दिनों तक सब ठीक रहा. फिर रविवार की रात हल्की मात्र में खून जाना शुरू हुआ. आज सुबह उसे चिकित्सक के क्लिनिक न ले जाकर सदर अस्पताल ले कर पहुंचे.
तीन बजे डॉक्टर ने कहा खून चढ़ाने, ब्लड बैंक में नहीं था खून : अस्पताल में बैठे डाक्टरों ने महिला डॉक्टर से दिखाने की बात कही. इसके बाद सुलेखा को लेबर वार्ड में भरती कराया. जहां एक महिला डॉक्टर आयी व जांच करने के बाद दवा लिख कर चली गयी. थोड़ी देर बाद एक डॉक्टर ने फोन कर डॉ निवेदिता को बुलवाया. दोपहर तीन बजे अस्पताल पहुंची. मरीज की स्थिति देखने के बाद खून चढ़ाने की सलाह दी. घरवालों ने लाख प्रयास किया. मगर ब्लड बैंक में खून न रहने के कारण मरीज को खून नहीं चढ़ाया जा सका. अंतत: सोमवार शाम 5 बजकर 10 मिनट पर उसकी मौत हो गयी.
पिता ने कहा महिला डॉक्टर दोषी : सुलेखा के पिता नरेश यादव ने कहा घटना के लिए महिला चिकित्सक दोषी है. हम लोगों को न्याय मिलना चाहिए. हमारा हंसता-खेलता घर उजड़ गया. दो माह की नतिनी है. उसकी कौन देखभाल करेगा. दुखद बात यह है कि मौत के बाद उसका बीएचटी भी लेबर वार्ड से नर्स ने हटा दिया. काफी खोजबीन की गयी. मगर नहीं मिला.
सूचना मिलते ही सवा आठ बजे अस्पताल प्रबंधक को बीएचटी सीज करने का निर्देश दिया है. गड़बड़ी पायी गयी तो आवश्यक कार्रवाई करेंगे. कोशिश होगी कि पीड़ित परिवार को न्याय मिले.
– डॉ दिवाकर कामत, सीएस
मरीज का हीमोग्लोबीन काफी कम (मात्र छह ग्राम) था. सप्ताह भर बाद पुन: ब्लड निकलने की समस्या पर इलाज के लिए आये. अल्ट्रासाउंड कराया. कुछ नहीं निकला. मगर रूक-रूक कर शरीर से खून निकलता रहा. इस बीच जब मरीज आज अस्पताल पहुंची तो डॉ श्म्मिी व मैनें देखा व डीएस से अपील कर खून का शुल्क माफ कराया. खून रिप्लेसमेंट पर परिजन को ब्लड लाने को कहा गया. मगर परिजनों ने खून उपलब्ध न होने की बात कही. अंतत: शाम 5.10 बजे मरीज की मौत हो गयी.
– डॉ निवेदिता, चिकित्सक