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देवघर में इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर स्वीकृति, जमीन भी चिह्नित : निशिकांत

देवघर : मेला व संस्कृति से जुड़ा शहर देवघर है. यहां पुस्तक मेले का आयोजन लगातार 16वें वर्ष से बड़ी उपलब्धि है. पुस्तकें हमें संस्कारित करती है, इसलिए पुस्तक के साथ कैसे आगे बढ़ना है, यह सीख हमें पुस्तक मेले से लेकर जाना चाहिए. उक्त बातें गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने 16वें पुस्तक मेले के […]

देवघर : मेला व संस्कृति से जुड़ा शहर देवघर है. यहां पुस्तक मेले का आयोजन लगातार 16वें वर्ष से बड़ी उपलब्धि है. पुस्तकें हमें संस्कारित करती है, इसलिए पुस्तक के साथ कैसे आगे बढ़ना है, यह सीख हमें पुस्तक मेले से लेकर जाना चाहिए. उक्त बातें गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने 16वें पुस्तक मेले के उदघाटन के उपरांत कही. उन्होंने कहा कि पुस्तक मेला लगाने का उद्देश्य किताबें बेचना नहीं है, बल्कि आज के इंटरनेट के युग में किताबों से दूर हो रहे लोगों के बीच अभिरुचि पैदा करने के लिए लगाया गया है. सांसद ने कहा कि यह मेला कैसे और वृहत स्वरूप ले, कैसे यह जयपुर लिटरेचर फेयर की तरह बड़ा मेला हो. देवघर में इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर स्वीकृत है. इसके लिए जमीन चिन्हित हो गया है. जल्द ही यह पुस्तक मेला कन्वेंशन सेंटर में ही होगा.

पुस्तकें प्रेरणा देती है : केएन झा

पूर्व मंत्री सह विशिष्ट अतिथि केएन झा ने कहा कि साहित्य से जीवन पद्धति का पता चलता है. जीवन जीने की शक्ति पुस्तकों से मिलती है. जो व्यक्ति पुस्तकों से मित्रता कर लेता है, उसका जीवन सार्थक हो जाता है. उन्होंने कहा कि पुस्तकें प्रेरणादायी होती है. इसलिए पुस्तकों को अवश्य पढ़ें. उन्होंने कहा कि आर मित्रा हाई स्कूल ने दो-दो सीएम दिये हैं, इसलिए इस ऐतिहासिक स्कूल में नया भवन बनना चाहिए ताकि फिर से आरमित्रा पीसी सेन, प्रफुल्ल कांति घोष, पंडित विनोदानंद झा जैसे छात्र यहां से निकल सके.

पुस्तकें ज्ञान का भंडार हैं : विधायक

विधायक नारायण दास ने कहा कि पुस्तकें जीवन जीने के लिए बहुत उपयोगी है. इसलिए किताबों में अभिरुचि जरूरी है. क्योंकि यह वो ज्ञान का प्रकाश है, जिससे हमारा जीवन प्रकाशमय होता है. उन्होंने पुस्तक मेले से दो विधायक मद से दो लाख की किताबें खरीदने की घोषणा की.

सम्मान ने मुझे नयी दिशा दी : डॉ मिलन रानी जमातिया

पुस्तक मेले में इस वर्ष का भाषा सेतु सम्मान पाने वाली त्रिपुरा विश्वविद्यालय की डॉ मिलन रानी जमातिया ने कहा कि यहां मिले सम्मान ने मेरे जीवन को नयी दिशा दी है. मुझे दायित्व बोध करवाया है. उन्होंने कहा कि वे जिस समाज और जगह से आती हैं. वहां की अपनी भाषा को हिंदी के साथ जोड़ कर नयी पहचान दूंगी.

सच्चा साहित्य ही टिकाऊ : डॉ सुजाता

भाषा सेतु सम्मान पाने वाली दूसरी महिला भागलपुर की साहित्यकार डॉ सुजाता चौधरी ने कहा कि उनका एक अाश्रम वृंदावन में चलता है. वहां कमोवेश देश के सभी प्रांत की असहाय महिलाएं रहती हैं. उनके कई उपन्यास आश्रम में रहने वाली महिला की सच्ची कहानी पर आधारित है. क्योंकि उनका मानना है कि साहित्य वही टिकाऊ होता है, जिसमें सच्चाई होती है. डॉ चौधरी ने कहा कि मेरी किताबें पढिये, यही मेरा सम्मान होगा.

मेला का शहर बन गया देवघर : डीसी

डीसी अरवा राजकमल ने कहा कि देवघर मेलों का शहर बन गया है. वे भी पुस्तक प्रेमी हैं. पुस्तकें पढ़ना शौक रहा है. समय कम मिलता है फिर भी पढ़ते हैं. लोगों को पुस्तकों से जुड़े रहना चाहिए. इससे पूर्व मेला समिति के अध्यक्ष युधिष्ठिर प्रसाद राय ने स्वागत भाषण दिया. वहीं मेले के उद्देश्य और भाषा सेतु सम्मान के अलावा विशिष्ट अतिथियों का परिचय मेला संयोजक डॉ सुभाष चंद्र राय ने करवाया. मंच संचालन जाने-माने उदघोषक राम सेवक सिंह गुंजन ने किया. वहीं आगत अतिथियों को रेणू सिंह और तृप्ति टमकोरिया ने तिलक लगाकर स्वागत किया. स्वागत गीत मनोज झा के नेतृत्व में साक्षी व सृष्टि आदि ने प्रस्तुत किया. धन्यवाद ज्ञापन आलोक मल्लिक ने किया.

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