प्रावधान के अनुरूप यहां विभिन्न विभागों के लिए कम से कम 8 डाॅक्टरों की पदस्थाना रहनी चाहिए. लेकिन पीएचसी से सीएचसी का दर्जा प्राप्त होने के साथ ही यहां अधिकतम चार डाॅक्टर ही पदस्थापित देखे गये हैं. वर्तमान समय में भी एक आयुष चिकित्सक डाॅ वरूण मंडल सहित 6 चिकित्सक पदस्थापित हैं. इनमें से एक चिकित्सक डाॅ देवेंदु बोस ने आठ माह पूर्व योगदान तो दिया लेकिन योगदान के दूसरे दिन से ही आज तक अनुपस्थित चल रहे हैं. एक अन्य चिकित्सक डाॅ निवेदिता की प्रतिनियुक्ति पिछले कई माह से सदर अस्पताल देवघर में कर दी गई है. इसके अलावे वर्तमान में मधुपर के दो चिकित्सक डाॅ एनी एलिजाबेथ टुडू व डाॅ लियाकत अंसारी प्रतिनियुक्ति पर पालोजोरी सीएचसी में हैं. जिसमें डाॅ एनी एलिजाबेथ टुडू ही वर्तमान में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के रूप में कार्यरत थी. जिनपर कार्य में लापरवाही के आरोप में हटाने का निर्देश सीएस ने दिया है. कुछ एक चिकित्सकों व कर्मियों को छोड़ कर अधिकतर चिकित्सक व कर्मी यहां नहीं ठहरते. बीपीएम के बिना ही सीएचसी में स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रमों का संचालन हो रहा है, जो कई सवालों को जन्म देता है. ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों का कहना है कि इतनी राशि को खर्च कर सरकार लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने का प्रयास तो कर रही है लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण लाभ नहीं मिल रहा.
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मरीजों को नहीं मयस्सर इलाज की सुविधा
पालोजोरी: पालोजोरी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सरकार द्वारा सुविधाएं मुहैया कराये जाने के बाद भी मरीजों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. 30 बेड वाला यह सीएचसी स्थापना के बाद अपने उद्देश्यों पर खरा नहीं उतर पा रहा है. प्रावधान के अनुरूप यहां चिकित्सक भी नहीं हैं और ना ही सामान्य प्रसव […]
पालोजोरी: पालोजोरी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सरकार द्वारा सुविधाएं मुहैया कराये जाने के बाद भी मरीजों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. 30 बेड वाला यह सीएचसी स्थापना के बाद अपने उद्देश्यों पर खरा नहीं उतर पा रहा है. प्रावधान के अनुरूप यहां चिकित्सक भी नहीं हैं और ना ही सामान्य प्रसव को छोड़ कर किसी बड़े गंभीर रोगी का इलाज ही यहां हो पाता है.
शोभा बढ़ा रहा एक्स-रे व इसीजी मशीन
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना के साथ ही यहां लाखों रुपए खर्च कर एक्स-रे व इसीजी सहित अन्य मशीन की खरीदारी हुई है. लेकिन सभी मशीन इन दिनों सीएचसी परिसर में रखे रखे धूल फांक रहे हैं. आॅपरेटर के अभाव में इन मशीनों की उपयोगिता शून्य बन कर रह गई है. हालांकि अस्पताल प्रबंधन समिति की बैठक में विधायक सह कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने निर्देश दिया था कि अनुबंध पर कर्मियों को रख कर इन मशीनों को उपयोगी बनाया जाए. लेकिन अस्पताल प्रबंधन को कृषि मंत्री के निर्देश से भी मतलब नहीं है.
बीपीएम विहीन है सीएचसी पालोजोरी, कई कार्यक्रम होते हैं प्रभावित
पालोजोरी सीएचसी में स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रमों को बेहतर ढंग से संचालित करने के लिए प्रखंड कार्यक्रम का पद सृजित है. लेकिन पिछले कई माह से यह पद रिक्त चल रहा है. बीपीएम के नहीं रहने के कारण स्वास्थ्य सुविधाओं के क्रियान्वयन में दिक्कतें आ रही है.
नियमित नहीं खुलते स्वास्थ्य उपकेंद्र
ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 29 स्वास्थ्य उपकेंद्र संचालित होते हैं. लेकिन कुछ एक को छोड़कर बाकी केंद्र नियमित रूप से नहीं खुलते हैं. इन उपकेंद्रों से ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा मिले इसके लिए पालोजोरी में कुल 32 एएनएम पदस्थापित हैं. जिसमें से 27 एएनएम को उपकेन्द्रों में पदस्थापित किया गया है. लेकिन कई ऐसे केंद्र भी है जहां पदस्थापित एएनएम का चेहरा संबंधित क्षेत्र के ग्रामीणों ने स्वास्थ्य उपकेंद्र में शायद ही कभी देखा है. केवल टीकाकरण दिवस के मौके पर एएनएम आंगनबाड़ी केंद्र में जाकर बच्चों का टीकाकरण भर करती है. जबकि इन उपकेन्द्रों में संस्थागत प्रसव सहित सप्ताह में कम से कम एक दिन चिकित्सक को भी बैठना है. जब एएनएम ही नहीं पहुंचती है तो डाॅक्टर का पहुंचना दूर की कौड़ी बन गई है. उपकेंद्रों के बंद से ग्रामीणों को छोटी मोटी बीमारियों का इलाज के लिए या तो झोलाछाप चिकित्सकों पर निर्भर रहना पड़ता है या फिर दूर दराज के जगहाें में जाकर इलाज कराना पड़ता है. जिससे ग्रामीणों को मोटी रकम खर्च करने पड़ते हैं.
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