लेकिन हाल के दिनों में टावर घड़ी की हालत खराब है. अब राष्ट्रपति देवघर आ रहे हैं. यदि महामहिम टावर चौक से गुजरे तो टावर चौक पर लगी चार घड़ी की अलग-अलग टाइम देख वे भी दंग रह जायेंगे. एक झटके में वे सोच में पड़ जायेंगे कि चारों घड़ी किस देश का टाइम दिखा रही है. जबकि महामहिम के आगमन के लिए चारों ओर तैयारियां चल रही है. 5.50 करोड़ से सड़कें बन रही है.
युद्ध स्तर पर सफाई कार्य चल रहे हैं. शहर को सजाया-संवारा जा रहा है. लेकिन इस टावर घड़ी पर किसी का ध्यान नहीं है. निगम इसकी देख-रेख करती है, लेकिन उसके जेहन में टावर तो है लेकिन उसकी घड़ी नहीं है. टावर इसलिए जेहन में है क्योंकि अभी झारखंड स्थापना दिवस पर उसमें आकर्षक विद्युत सज्जा करवाया था. लेकिन घड़ी को दुरुस्त नहीं करवाया. एेसा प्रतीत होता है कि टावर घड़ी की घंटी बंद होने से देवघर की धड़कन बंद हो गयी है.