कार्रवाई . जपीसी के एरिया कमांडर का शव पहुंचा गांव, बिहार-झारखंड के छह थानों में है केस
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बांका पुलिस को थी लोहा सिंह की तलाश
कार्रवाई . जपीसी के एरिया कमांडर का शव पहुंचा गांव, बिहार-झारखंड के छह थानों में है केस 24 अक्तूबर को लोहा सिंह की गोली मारकर हुई थी हत्या 25 को देवघर आने वाला था लोहा सिंह गणेश मांझी उर्फ लोहा सिंह पर एक दर्जन से अधिक मामले दर्ज थे देवघर : मोहनपुर थाना क्षेत्र स्थित […]
24 अक्तूबर को लोहा सिंह की गोली मारकर हुई थी हत्या
25 को देवघर आने वाला था लोहा सिंह
गणेश मांझी उर्फ लोहा सिंह पर एक दर्जन से अधिक मामले दर्ज थे
देवघर : मोहनपुर थाना क्षेत्र स्थित कलकतिया धर्मशाला के पास नवाडीह गांव निवासी व प्रतिबंधित संगठन जपीसी के एरिया कमांडर गणेश मांझी उर्फ लोहा सिंह, उर्फ विवेक यादव, उर्फ छोटु जी, उर्फ विजय यादव की हत्या 24 अक्तूबर को चतरा में गोली मारकर कर दी गयी थी. मंगलवार देर रात लोहा सिंह का शव नवाडीह गांव पहुंचा व अहले सुबह तक परिजनों ने शव गांव में ही गडगड़िया घाट में अंत्येष्टि की. पुलिस ने चतरा के समरिया थाना स्थित बिरहू गांव में एक विधवा चंचला श्रीवास्तव उर्फ चंचला देव्या के घर से लोहसा सिंह का शव बरामद किया था.
बताया जाता है कि लोहा सिंह की हत्या प्रतिबंधित संगठन टीपीसी के सदस्यों द्वारा कर दी गयी है. लोहा के सीने में छह गोली मारी गयी है, पुलिस ने घटनास्थल से एके 47 का चार खोखा व मोबाइल भी बरामद किया है. लोहा सिंह चतरा में अपना नाम बदलकर रह रहा था, वह दो महीने पहले ही जेल से छुटकर आया था.
बिहार-झारखंड में दर्ज हैं कई मामले. लोहा सिंह पर झारखंड व बिहार के छह थाना में एक दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं. इसमें हत्या, लूट, रंगदारी, पोस्टरबाजी आदि शामिल है. लोहा सिंह पर 17 सीएल एक्ट भी लगा हुआ था. छह थानों में झारखंड के मोहनपुर, जसीडीह, चतरा, सिमरिया व बिहार के चांदन व कटोरिया की पुलिस को लोहा सिंह की तलाश थी. लोहा सिंह पर सबसे अधिक मामला देवघर के मोहनपुर थाने में दर्ज है.
16 लाख रुपया लेवी प्राप्त हुआ था. बताया जाता है लोहा सिंह 25 अक्तूबर को देवघर अपने घर आने वाला था, चूंकि लोहा सिंह की बहन बीमार है व पटना में भरती है. वह अपनी बीमार बहन की इलाज में कुछ आर्थिक मदद देने के लिए देवघर आने वाला था.
पुलिस के अनुसार लोहा सिंह का सिमरिया निवासी चंचला श्रीवास्तव से प्रेम-प्रसंग चल रहा था, वह अपना नाम बदलकर चंचला के घर रह रहा था. यह भी बताया जाता है कि पिछले दिनों एक ठेकेदार से लोहा सिंह को 16 लाख रुपये की लेवी प्राप्त हुई थी. इसकी सूचना टीपीसी के सदस्यों को मिल गयी थी. उसके बाद ही साजिश रचकर विश्वास में लेकर लोहा सिंह की हत्या की गयी. घटना के बाद चंचला भी फरार है व उसका परिवार डरा-सहमा है.
ट्रैक्टर चालक से उग्रवाद की दुनिया में रखा कदम. बताया जाता है कि गणेश मांझी उर्फ लोहा सिंह 10 साल पहले अपने गांव में ट्रैक्टर चालक था. गांव के पास ही देवघर-सुल्तानगंज रेलवे लाइन में काम करने वाले एक ठेकेदार के साथ गणेश मांझी ट्रैक्टर चलाने का काम करने लगा. उसके बाद उस ठेकेदार को चतरा में ठेकेदारी का काम मिला तो गणेश मांझी भी ट्रैक्टर चालक के रूप में चतरा चला गया व ट्रैक्टर चलाने लगा. इसी क्रम में वह वहां उग्रवादी संगठन जेपीसी के संपर्क में आया. धीरे-धीरे वह संगठन में सक्रिय बन गया व गणेश मांझी से नाम बदलकर लाेहा सिंह के नाम से लेवी मांगने लगा.
लोहा सिंह को जेपीसी का देवघर व बांका इलाके का एरिया कमांडर बनाया गया. लोहा सिंह की संलिप्तता सबसे पहले मोहनपुर थाना के ही नवाडीह गांव के ठेकेदार विष्णु यादव की हत्या में सामने आयी थी. उसके बाद देवघर-सुल्तानगंज रेलवे लाइन में काम करने वाली कंस्ट्रक्शन मोदी प्रोजेक्ट कंपनी के सरासनी गांव स्थित कैंप कार्यालय के हमले में लोहा सिंह पर प्राथमिकी दर्ज हुई थी. कैंप कार्यालय में बम से हमला कर कई जेसीबी मशीन फूंक दिये गये थे.
उसके बाद मोहनपुर, जसीडीह व बिहार के चांदन व कटोरिया इलाके में जेपीसी के लगातार पोस्टरबाजी समेत रंगदारी, पुलिस के साथ मुठभेड़ बमबाजी में लोहा सिंह पर प्राथमिकी दर्ज हुई. लोहा सिंह ने धीरे-धीरे इस इलाके में पांव पसार लिया व अपने संगठन से इस इलाके में युवकों को जोड़ लिया.
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