देवघर: जैन धर्म का महान पर्व दशलक्षण का शुरू हो गया. यह पर्युषण महापर्व के नाम से भी जाना जाता है. बुधवार को नौवां दिन उत्तम आंकिचन धर्म का पालन किया. इस अवसर पर पं संयम जैन ने जैन मंदिर में प्रवचन दिये. उन्होंने कहा कि आंकिचन का अर्थ अंतरंग, बहिरंग में किसी प्रकार का परिग्रह न होना. अपरिग्रह का अर्थ पर-पदार्थों में मूर्च्छा भाव का न होना.
सुबह साढ़े छह बजे से भगवान का पक्षाल, अभिषेक, शांतिधारा व पूजा की गयी. शाम सात बजे सामूहिक आरती हुई. मौके पर शाम में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
इसके संचालन में चेतन जैन, चित्रा, सीमा, कीर्ति आदि ने सराहनीय भूमिका निभायी. कार्यक्रम को सफल बनाने में डा आनंद जैन, चेतन जैन, सीमा जैन, कीर्ति जैन, अजीत जैन, राजेश जैन, सुमीत जैन, पवन जैन, सुरेश पाटनी, विनोद सेठी, प्रेम जैन, संतोष जैन, जुगल जैन, चित्रा जैन, रेणु जैन, कमला जैन, इंद्र जैन, कैलाश जदेवी, रीटा जैन आदि ने सराहनीय भूमिका निभायी.