देवघर: सारठ प्रखंड के चितरा थाना अंतर्गत कुकराहा गांव स्थित करीब दो सौ साल पुराने दुर्गा मंदिर के शिखर में लगा घड़ा (कलश) सोने का निकला. ग्रामीणों व भक्तों को उक्त घड़े में सिंदूर के लेप लगे होने से आशंका होती थी कि मिट्टी का है. दुर्गा मंदिर में लगा उक्त घड़ा (कलश) कभी किसी के द्वारा नहीं उतारा गया था. पहले से उक्त दुर्गा मंदिर छोटे मंडप के रुप में बना हुआ था. वर्तमान में भक्तों के सहयोग से मंदिर का जीर्णोद्धार कर भव्य रुप देने का काम अंतिम चरण में है.
ग्रामीणों व भक्तों के सहयोग से उक्त दुर्गा मंदिर के जीर्णोद्धार में तकरीबन 60 लाख के खर्च का अनुमान है. उक्त दुर्गा मंदिर को दक्षिण शैली के भव्य मंदिर का रुप देने का काम अंतिम चरण में है. महाराष्ट्र के तेलंग बंधु के नेतृत्व में उक्त दुर्गा मंदिर के जर्णाोद्धार में 35 शिल्पकारों की टीम कार्य में जुटे हैं. इस बाबत कुकराहा निवासी प्रमोद सिंह ने बताया कि करीब दो सौ साल पुराना छोटा मंडप था, जिसके शिखर पर लगा घड़ा (कलश) में सिंदूर लेप लगे होने से आशंका थी कि मिट्टी का है.
हर साल उस पर पूजा के वक्त सिंदूर का लेप लगाया जाता था, खुलता नहीं था. जीर्णोद्धार के क्रम में खोलने के लिये सब्बल का प्रयोग हुआ तो उससे धातु का आवाज निकला. इसके बाद सुरक्षित तरीके से उक्त घड़ा को निकाला गया. खरोंच कर देखने पर लोगों ने उसे सोने का बताया. स्स्थानीय स्तर पर जांच कराने पर उक्त घड़ा (कलश) सोने के होने की पुष्टि हुई. घड़े का वजन करीब साढ़े तीन किलो है.
उसकी कीमत करीब एक करोड़ की आंकी जा रही है. दोबारा उक्त घड़ा (कलश) जीर्णोद्धार हो रहे मंदिर के शिखर पर स्थापित करा दिया गया. उन्होंने कहा नये मंदिर के तीन तल्ले में 36 देवी-देवताओं के मार्बल-सीमेंट की प्रतिमाएं स्स्थापित होगी, जो बाह्य आकर्षण का केंद्र होगा. मंदिर जीर्णोद्धार में लगे महाराष्ट्र के इन कारीगरों द्वारा मुंबई के झूलेलाल मंदिर, पटना के महावीर मंदिर, कानपुर के बालाजी मंदिर, रांची अपर बाजार के दुर्गा मंदिर, भागलपुर के शिव मंदिर, वैशाली के चौमुखी महादेव मंदिर व जमुई के काली मंदिर समेत देश भर में करीब पांच हजार मंदिरों का निर्माण कराया जा चुका है.