इसलिए अवैध शिक्षक नियुक्ति की संख्या में बढ़ोतरी भी हो सकती है. व्यापक स्तर पर पूरे डाटा बेस की जांच की गयी तो शिक्षक नियुक्ति में जहां फर्जीवाड़ा का बड़ा खुलासा हो सकता है, वहीं कई चौकाने वाला तथ्य मसलन पावर के साथ-साथ कई गंठजोड़ सामने आ सकते हैं. जांच रिपोर्ट के अनुसार नियुक्ति के दौरान जिला शिक्षा अधीक्षक देवघर कार्यालय में नियुक्ति नियमावली का अनुपालन पूर्णत नहीं किया गया.
न ही नियुक्ति काउंसेलिंग के लिए गठित जांच दल को जिला शिक्षा अधीक्षक द्वारा पूरी वस्तुस्थिति से ही अवगत कराया गया. जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय देवघर में काउंसेलिंग एवं अन्य नियुक्ति कार्य से संबंधित कागजात मसलन आवेदन प्रपत्र, अंक पत्र, शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र प्रधान सहायक सदानंद ठाकुर द्वारा ही समर्पित की जाती थी. साथ ही अन्य चार लिपिक उमाशंकर सिंह, मनीष कुमार, संतोष कुमार एवं संदीप कुमार काउंसेलिंग के कार्यों के देखते थे, इसलिए चार लिपिक संदेह के घेरे में हैं और अनियमितता में प्रधान सहायक की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है.