केके स्टेडियम में सुधांशु जी महाराज ने कहा
देवघर : देवघर सांस्कृतिक समिति के तत्वावधान में केके स्टेडियम में चल रहे पांच दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम का विधिवत समापन हो गया. इस अवसर पर कथावाचक सुधांशु जी महाराज ने सर्वधर्म समभाव पर प्रवचन दिये. पांचवें व अंतिम दिन महाराज जी ने कहा तप, कर्म, जप, ध्यान और ज्ञान पांच शिव धर्म हैं.
सभी के नियमपूर्वक पालन करने से ही शिवतत्व की प्राप्ति होती है. उन्होंने कहा कि संसार संयोग-वियोग का है. सुख-दु:ख में संसार के हर द्वंद्व को सहना ही तप धर्म है. तप तीन तरह के हैं. शारीरिक, मानसिक व वाणी से सहन करना ही तप है. दूसरा कर्म है. हर परिस्थिति में हर समय, हर जगह भगवान का स्मरण करें. कर्म को जीवन को आधार बनायें.
रसपूर्ण होकर कर्म करें. तीसरा जप धर्म है. इसके तहत एकाग्रचित्त से अखंड होकर शिवनाम का जाप करें. कुछ मांगने के लिए जाप नहीं करें. चौथा ध्यान और पांचवां ज्ञान है. सभी पांच शिव धर्म के पांच सहयोगी धर्म भी है. इस प्रकार कुल 25 धर्म हैं. सभी के पालन करने से भव सागर से मनुष्य अवश्य पार लग जायेगा. उन्होंने कहा कि द्वादश ज्योतिर्लिग का हमारे राशि के अनुसार फलाफल हैं.
किसी भी ज्योतिर्लिग की पूजा करते समय बारह ज्योतिर्लिग को ध्यान करते हुए जलार्पण करें. उसमें अपनी राशि वाले ज्योतिर्लिग को स्मरण करते हुए अलग से एक बार जलार्पण करें. अवश्य लाभ दिखेगा.
उन्होंने कहा कि मेष राशिवाले को सोमनाथ, वृष राशिवाले को श्रीशैल, मिथुन राशिवाले को महाकाल, कर्क राशिवाले को ओंकारेश्वर और अमलेश्वर, सिंह राशिवाले को बैद्यनाथ, कन्या राशिवाले को भीमाशंकर, तुला राशिवाले को रामेश्वरम, वृश्चिक राशिवाले को नागेश्वर, धनु राशिवाले को विश्वनाथ, मकर राशिवाले त्र्यंबकेश्वर, कुंभ राशिवाले को केदारनाथ, मीन राशिवाले को विश्वेश्वर की पूजा अवश्य करनी चाहिए.
गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि अपने आप को खुद उद्धार करो. अंत में कहा कि देवघर के लोग बहुत अच्छे हैं. सभी धर्मप्रिय हैं. पांच दिनों तक शांत होकर कथा का त्रावण किये. उन्हें सच्चे मार्ग पर चलने की सलाह दी.
कार्यक्रम को सफल बनाने में अध्यक्ष अभय सर्राफ, सचिव रमेश बाजला, ताराचंद जैन, विनोद सुल्तानिया, महावीर शर्मा, प्रमोद छावछरिया, रामनाथ शर्मा, अनिल कुमार, कार्तिक नरौने, घनश्याम टिबड़ेवाल, शिव सर्राफ, पवन टमकोरिया आदि समिति के सभी सदस्यों ने सराहनीय भूमिका निभायी.