वह पढ़ाई के माध्यम से अपना करियर बनाना चाहती है. मगर उसके घर की आर्थिक तंगी के कारण अपने पसंदीदा गेम खोखो, फुटबॉल व मैराथन से नाता तोड़ने के लिए विवश होना पड़ रहा है. खुशबू के पिता बुल्गानी गुप्ता पेशे से अॉटो चॉलक हैं. मां-पिता के अलावा घर में दो छोटे भाई भी हैं. जिनकी पढ़ाई की जिम्मेवारी पिता की आय से होनी है. ऊपर से खुशबू के खेल पर होने वाले खर्च से घर का आर्थिक बजट गड़बड़ा रहा है.
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आर्थिक तंगी से खेल छोड़ने को विवश खुशबू
देवघर : यूनिवर्सिटी लेबल पर बेस्ट प्लेयर अौर कई अंतर प्रांतीय प्रतियोगिताअों में बेहतर प्रर्दशन करने वाली खुशबू कुमारी आज आर्थिक तंगी के कारण खेल से नाता तोड़ने के लिए विवश है. खुशबू शहर की आरडी बॉजला महिला कॉलेज में बीए पार्ट थ्री की छात्रा है. जुलाई-अगस्त में खुशबू की फाइनल परीक्षा होनी है. वह […]
देवघर : यूनिवर्सिटी लेबल पर बेस्ट प्लेयर अौर कई अंतर प्रांतीय प्रतियोगिताअों में बेहतर प्रर्दशन करने वाली खुशबू कुमारी आज आर्थिक तंगी के कारण खेल से नाता तोड़ने के लिए विवश है. खुशबू शहर की आरडी बॉजला महिला कॉलेज में बीए पार्ट थ्री की छात्रा है. जुलाई-अगस्त में खुशबू की फाइनल परीक्षा होनी है.
दुर्भाग्य से लीवर में स्टोन की तरह छोटे आकार का मांस का टुकड़ा विकसित हो जाने के कारण वह हमेशा पेट-दर्द व उल्टी की समस्या से परेशान है. इलाज पर खर्च हो रहे हैं. दूसरी अोर चांसलर ट्राफी के लिए कॉलेज में खो-खो के लिए चयन की प्रकिया अौर ट्रेनिंग शुरू की गई है. बैडमिंटन व फुटबॉल के लिए भी शिविर लगाकर ट्रेनिंग चल रही है. यह प्रतियोगिता अंतर विश्वविद्यालय स्तर पर का है. मगर वर्ष 2014 की यूनिवर्सिटी की बेस्ट प्लेयर का अवार्ड जीतने वाली खुशबू आर्थिक तंगी के कारण अपना इलाज न करवा पाने की वजह से खेल का हिस्सा नहीं बन पा रही है. कॉलेज की प्राचार्या को इस हकीकत की जानकारी नहीं है.
कहती हैं प्राचार्या
खुशबू से किसी तरह से संपर्क नहीं हो रहा है. यदि वह हमारे कॉलेज की टीम में शामिल होती तो हम दूसरी टीमों से आधा मैच उसके खेल से ही जीत जाते.
– डॉ नीरजा दुबे, प्राचार्या, आरडीबीएम कॉलेज, देवघर
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