देवघर जिले में जिन बालू घाटों के बंदोबस्तधारियों के पास प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कॉनसेन्ट टु ऑपरेट (सीटीओ) का एनओसी नहीं है, वे बालू उठाव नहीं कर सकते हैं. बैठक में खनन पदाधिकारी दिलीप कुमारी तांती ने बताया कि देवघर जिले के 24 बालू घाटों में एक भी बंदोबस्तधारियों के पास सीटीओ नहीं है. इसलिए पूरे जिले में तीन मार्च से ही बालू घाटों से बालू उठाव पर रोक लग जायेगी. खनन पदाधिकारी द्वारा गुरुवार को इससे संबंधित आम इश्तिहार प्रकाशित किया जायेगा ताकि बालू उठाव बंद कर दिया जाये. अब एनओसी प्राप्त करने के बाद ही बालू उठाव कर सकते हैं. डीसी ने कहा कि सीटीओ ऑपरेट के बगैर बालू का उठाव हुआ तो संबंधित संवेदक पर कठोर कानूनी कार्रवाई होगी. इसके लिए एसडीओ व सीओ सक्षम पदाधिकारी के रुप में संबंधित थाने में प्राथमिकी दर्ज करायेंगे.
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आज से बालू उठाव पर रोक, लेना होगा एनओसी
देवघर: बालू खनन को लेकर प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है. बुधवार को जिला स्तरीय टास्कफोर्स की बैठक डीसी अरवा राजकमल की अध्यक्षता में हुई. बैठक में एसपी ए विजयलक्ष्मी समेत कई अधिकारी शामिल हुए. बैठक में निर्णय लिया गया कि खान एवं भूतत्व विभाग के निदेशक द्वारा जारी निर्देशानुसार के बगैर सीटीओ ऑपरेट के […]
देवघर: बालू खनन को लेकर प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है. बुधवार को जिला स्तरीय टास्कफोर्स की बैठक डीसी अरवा राजकमल की अध्यक्षता में हुई. बैठक में एसपी ए विजयलक्ष्मी समेत कई अधिकारी शामिल हुए. बैठक में निर्णय लिया गया कि खान एवं भूतत्व विभाग के निदेशक द्वारा जारी निर्देशानुसार के बगैर सीटीओ ऑपरेट के बालू खनन पर पूर्णत रोक रहेगी.
मशीन से नहीं होगा उठाव
बैठक में डीसी ने कहा कि सीटीओ ऑपरेट करने के बाद जिन बंदोबस्तधारियों ने एनओसी प्राप्त कर लिया वे अब देवघर जिले के नदियों से बालू उठाव में मशीन का प्रयाेग नहीं करेंगे. देवघर जिले में खनन विभाग के माइनिंग प्लान के तहत नदियों से बालू उठाव मैनुअल तरीके से करना है. डीसी ने कहा कि मशीन का इस्तेमाल करने पर सीधे प्राथमिकी दर्ज की जायेगी.
चेकपोस्ट बनाये जायेंगे
दोबारा जब बालू उठाव जारी होगा उसके लिए प्रशासन टीम वर्क के साथ काम करेगा. किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं होने दी जायेगी.बालू का ओवरलोड, चालान में हेरफेर व अन्य ट्रांसपोर्ट नियमों की जांच के लिए जिले में तीन चेकपोस्ट बनाये जायेंगे. जिले के अंधरीगादर, दर्दमारा व भीरखीबाद के पास चेकपोस्ट बनाये जायेंगे. इस चेकपोस्ट में डीटीओ, पुलिस व वाणिज्यकर विभाग के अफसर व कर्मी रहेंगे.
डीसी ने सभी सीओ के निर्देश दिया कि खनन विभाग से सामंजस स्थापित कर जिन बालू घाटों की बंदोबस्ती हुई, वहां मापी कर सीमांकण करें. सीमा के बाहर अगर बालू का उठाव पाया गया तो सीओ खुद प्राथमिकी संबंधित धारा के साथ दर्ज करायेंगे. इस दौरान खनन विभाग के सभी कानूनी पहलुओं के बारे में पुलिस व प्रशासनिक पदाधिकारियों को बताया गया. बैठक में डीटीओ प्रेमलता मुरमू, देवघर एसडीओ एसके गुप्ता, मधुपुर एसडीओ रामवृक्ष महतो, एसडीपीओ दीपक पांडेय व अशोक कुमार सिंह समेत सभी सीओ व थाना प्रभारी थे.
…तो तबाही लायेंगी घायल नदियां
अंधाधुंध बालू उत्खनन से पर्यावरण व पारिस्थितिकी को हो रही अपूर्णीय क्षति
नियमों को ठेंगे पर रखकर देवघर और संताल समेत झारखंड की कई नदियों से अंधाधुंध बालू उत्खनन हो रहा है. हालांकि ‘नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, कोलकाता (इस्टर्न जोन बेंच)’ के आदेश के आलोक में उत्खनन पर गुरुवार से अस्थायी रोक का आदेश दिया गया है, लेकिन बीते दिनों बालू उठाव के दौरान तय वैज्ञानिक व प्रशासनिक मानकों का जमकर उल्लंघन हुआ. इस कारण सरकार को जहां राजस्व का नुकसान हुआ, वहीं स्थानीय लोगों के अधिकारों का भी जमकर हनन हुआ. लेकिन, अंधाधुंध अवैज्ञानिक उत्खनन से जो नुकसान पर्यावरण को पहुंचता है उस ओर किसी का ध्यान नहीं है. सच यह है कि अवैज्ञानिक बालू उठाव के कारण नदियों की सेहत के अलावा आसपास की पारिस्थितिकी को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है. राजस्व नुकसान की तो क्षतिपूर्ति की जा सकती है, लेकिन पर्यावरण और पारिस्थितिकी को जो घाव हो रहे हैं वे लाइलाज हैं. उसकी क्षतिपूर्ति नहीं की जा सकती. अंधाधुंध बालू उत्खनन के दुष्प्रभाव पर दुनिया भर में कई अध्ययन हुए हैं. तमाम अध्ययन इस बात की तस्दीक करते हैं. प्रभात खबर ने इस मुद्दे पर कुछ नदी विशेषज्ञ अभियंता और पर्यावरणविदों से बात की. तमाम लोगों का कहना है कि कम गहराई वाली नदियों से अगर अंधाधुंध बालू की खुदाई यूं ही जारी रही, तो नदियां अपने मार्ग बदलने के लिए मजबूर होंगी. अपस्ट्रीम में नदी की गहराई घटेगी और डाउनस्ट्रीम में बढ़ेगी. नदी की राह में ढुए (इनलैंड डेल्टा)बनेंगे. इससे उनकी प्रवाह-गति खतरनाक ढंग से बढ़ेगी और डाउनस्ट्रीम में नदी अपना रास्ता बदलने के लिए मजबूर होगी. बेतहाशा बालू उठाव से जहां नदी का बेड गहरा होगा, वहीं नदी द्वारा बहाकर लाये गये विषैले पदार्थ जमा होंगे और भू-जल को विषाक्त करेंगे. बलुआही नदी, भू-जल स्तर को रिचार्ज करने का बड़ा स्रोत है. बेतहाशा बालू उत्खनन के कारण भू-जल का स्तर घटेगा और नदियों के किनारे बसी बस्तियां पेयजल संकट का शिकार होंगी. जमीन की नमी कम होगी और पेड़-पौधे-जंगल प्रभावित होंगे. इसके अलावा नदियों पर बने पुल-पुलिये की नींव कमजोर होगी और करोड़ों की लागत से बने पुल, सड़क,रेलवे लाइन पर खतरा बढ़ेगा. गौरतलब है कि मौजूदा प्रावधानों के तहत पुल के दायरे में खुदाई पर मनाही है. लेकिन, देवघर जिले की अजय, पतरो, चांदन, डढ़वा आदि नदियों पर बने कई पुलों के आसपास बीते दिनों बेरोकटोक खुदाई की गयी.
भुगतने होंगे गंभीर दुष्परिणाम
अवैज्ञानिक माइनिंग से नदियों के स्वभाव में परिवर्तन होता है. नदियां बरसात के समय में खतरनाक होगी और अपना रास्ता बदलने के लिए मजबूर होगी. इसके अलावा आसपास के पूरे पर्यावरण और पारिस्थितिकी को प्रत्यक्ष व परोक्ष तौर पर प्रभावित करेगी. चूंकि संताल की नदियां ज्यादा गहरी नहीं हैं, इसलिए खतरे ज्यादा गंभीर होंगे.
-डॉ दिनेश कुमार मिश्र, प्रसिद्ध नदी विशेषज्ञ व योजना आयोग के पूर्व सदस्य
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