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सेमिनार से लौटै डॉ एन शर्मा, कहा अब सही काम के लिए भी अपनाना पड़ता है भ्रष्टाचार

देवघर. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के तत्वावधान में भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय द्वारा मधेपुरा कॉलेज में ‘भ्रष्टाचार कारण और निवारण’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय सेमिनार में हिस्सा लेकर डॉ नागेश्वर शर्मा देवघर लौटे. सेमिनार के मुख्य अतिथि डॉ शर्मा ने कहा कि सेमिनार में भ्रष्टाचार के अर्थ, स्वरूप, भ्रष्टाचार के प्रभाव, भ्रष्टाचार के कारण और […]

देवघर. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के तत्वावधान में भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय द्वारा मधेपुरा कॉलेज में ‘भ्रष्टाचार कारण और निवारण’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय सेमिनार में हिस्सा लेकर डॉ नागेश्वर शर्मा देवघर लौटे. सेमिनार के मुख्य अतिथि डॉ शर्मा ने कहा कि सेमिनार में भ्रष्टाचार के अर्थ, स्वरूप, भ्रष्टाचार के प्रभाव, भ्रष्टाचार के कारण और निवारण पर विचार व्यक्त किया.

उन्होंने कहा कि आज भ्रष्टाचार के स्वरूप में बदलाव आ गया है. पहले गलत काम करने के लिए घूस देते थे, लेकिन अब सही काम को सही समय पर कराने के लिए भ्रष्टाचार का आचरण अपनाना पड़ता है. ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट में 62 से 65 फीसदी भारतवासी सरकारी कार्यालय में अपना काम कराने के लिए रिश्वत अथवा पावर का प्रयोग करते हैं.

भारत में हर दिन 20 करोड़ का रिश्वत लोकसेवक लेते हैं. इंडिया क्रप्शन ब्राइबरी रिपोर्ट के अनुसार एक सौ में से 30 फीसदी भ्रष्टाचार पुलिस तंत्र में है. भ्रष्टाचार के मामले में भारत का स्थान दुनिया में 94वां स्थान है. डॉ शर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार का 280 लाख करोड़ रुपये स्विस बैंक से भारत आ जाये तो 30 वर्षों का बजट बगैर टैक्स के बना सकते हैं. भोगवाद हमें भ्रष्ट बना देता है. सरकार भले ही एक्ट, लोकपाल, आरटीआइ कानून बना दें. जबतक इस प्रवृति पर नियंत्रण, आत्ममंथन नहीं करेंगे, तबतक भ्रष्टाचार दूर नहीं किया जा सकता है.

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