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बाबामंदिर से आज भी कायम नाथ संप्रदाय का रिश्ता

देवघर: नाथबाड़ी व बाबा बैद्यनाथ मंदिर के पूजन परंपरा में नाथ संप्रदाय का अटूट रिश्ता आज भी कायम है. बाबा बैद्यनाथ मंदिर में नाथ संप्रदाय की परंपरा अभी भी बरकरार है. आदि काल से बाबा बैद्यनाथ को चढ़ाये गये दूध का भोग नाथ संप्रदाय को जाता है. आज भी यह परंपरा चलती आ रही है. […]

देवघर: नाथबाड़ी व बाबा बैद्यनाथ मंदिर के पूजन परंपरा में नाथ संप्रदाय का अटूट रिश्ता आज भी कायम है. बाबा बैद्यनाथ मंदिर में नाथ संप्रदाय की परंपरा अभी भी बरकरार है. आदि काल से बाबा बैद्यनाथ को चढ़ाये गये दूध का भोग नाथ संप्रदाय को जाता है. आज भी यह परंपरा चलती आ रही है. देवघर श्मशान काली मंदिर में नाथ संप्रदाय के साधक ध्रुवनाथ बाबा बैद्यनाथ के श्रृंगार पूजा के उपरांत भोग (दूध) रोज लेते हैं. बाबा का भोग लगने के बाद पुजारी स्वयं बाबा ध्रुवनाथ को कमंडल में दूध देते हैं. लगभग सवा किलो दूध में संख्या, घी व शहद रहता है. धार्मिक महत्व के अनुसार संख्या से निर्मित इस महाभोग का ग्रहण नाथ संप्रदाय के संत ही कर सकते हैं.

बाबा ध्रुवनाथ के अनुसार नाथ संप्रदाय के साधक नाथबाड़ी के सुरंग के जरिये बाबा मंदिर में प्रवेश करते थे व संख्या वाली दूध से बाबा बैद्यनाथ का महाभोग लगाते थे. उस समय से ही नाथबाड़ी के संत इस महाभोग को ग्रहण करते आ रहे हैं.

नाथ संप्रदाय के नौ सिद्ध साधक : बाबा ध्रुवनाथ ने बताया कि नाथ संप्रदाय का इतिहास देवताओं के समय से रहा है. नाथबाड़ी भी उसी इतिहास की कड़ी है. नाथबाड़ी के सुरंग से नाथ संप्रदाय के संतों के अलावा राजा-महाराजा भी बाबा मंदिर में प्रवेश कर कामना लिंग पर जलार्पण करते थे. नाथबाड़ी के अलावा इस जग में नाथ संप्रदाय के नौ महान सिद्ध साधक रहे जिन्होंने परंपरा को बनाये रखा.

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