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गुरुजी को नहीं पता शिक्षा-रक्षा मंत्री का नाम
विडंबना. राजकीय मध्य विद्यालय कल्याणपुर में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर उठ रहे सवाल, बच्चों की तो छोड़िये भारत सरकार व राज्य सरकार छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए हर वर्ष अरबों रुपये खर्च करती है. केंद्रीय व राज्य के बजट में शिक्षा पर विशेष फोकस रहता है. योजनाबद्ध तरीके से सरकारी स्कूलों में बेहतर […]
विडंबना. राजकीय मध्य विद्यालय कल्याणपुर में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर उठ रहे सवाल, बच्चों की तो छोड़िये
भारत सरकार व राज्य सरकार छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए हर वर्ष अरबों रुपये खर्च करती है. केंद्रीय व राज्य के बजट में शिक्षा पर विशेष फोकस रहता है. योजनाबद्ध तरीके से सरकारी स्कूलों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने से लेकर कुशल शिक्षकों की भरती की जाती है. शिक्षा से जुड़ी योजनाओं का संचालन भी साथ-साथ किया जाता है.
सरकारी स्कूलों की तुलना में प्राइवेट स्कूलों का इंफ्रास्ट्रकर एवं मैन पावर कहीं नहीं ठहरता है. बावजूद सरकारी स्कूलों के बच्चों का क्वालिटी इंप्रूव नहीं हो रहा है. बच्चों का आत्मविश्वास भी कमजोर ही रहता है. नतीजा बच्चे डिग्रियां हासिल करने के बाद भी सहज रूप से नौकरी हासिल नहीं कर पाते हैं. बेरोजगारों की भीड़ में कहीं न कहीं गुम होते चले जा रहे हैं.
आखिर अरबों खर्च के बाद भी बेहतर नतीजा क्यों नहीं मिला पा रहा है. इन बिंदुओं पर प्रभात खबर संवाददाता ने पड़ताल की. पड़ताल में कई चौकाने वाला तथ्य उजागर हुआ है. प्रस्तुत है सरकारी स्कूलों की किस्तवार रिपोर्ट…
देवघर : नगर निगम वार्ड संख्या 11 स्थित राजकीय मध्य विद्यालय कल्याणपुर में शिक्षा का स्तर काफी बदतर है. प्रभात खबर संवाददाता शनिवार की सुबह नौ बजे जब स्कूल कैंपस पहुंची तो नजारा काफी चौंकाने वाला नजर आया. स्कूल के कक्षा पहली, दूसरी, तीसरी के छात्रों को छोड़ दें, कक्षा आठवीं के बच्चे तुसी कुमारी, सूरज कुमार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री, केंद्रीय रेल मंत्री, झारखंड के शिक्षा मंत्री का नाम नहीं पता है. कक्षा आठ के ही सोनू कुमार ने झारखंड के शिक्षा मंत्री का नाम इंदिरा गांधी बताया. कक्षा ले रही शिक्षिका एस मरांडी तो मंत्रियों के नाम पर माथा पिटती रही.
शिक्षिका उषा कुमारी साह, शिखा सिंह, प्रतिमा कुमारी ने मंत्रियों का नाम बताने के नाम पर सोच में पड़ गयी. शिक्षिका पूर्णिमा कुमारी ने झारखंड की शिक्षा मंत्री का नाम द्रौपदी मुर्मू बताया. शिक्षिका इंदिरा रजक ने भारत के रक्षा मंत्री का नाम यशवंत सिन्हा, तो केंद्रीय शिक्षा मंत्री का नाम स्मृति ईरानी बताया. यह दिखाता है कि विभागीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई का दावा सिर्फ कोरा कागज पर किया जा रहा है. दावों की सच्चाई धरातल पर नहीं उतर रही है. बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने का दायित्व जिन शिक्षकों के कंधों पर है, वो गंभीर नहीं दिख रहे हैं.
फर्श पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं छात्र
स्कूल के हर वर्ग कक्ष में पर्याप्त बेंच-डेस्क नहीं है. नतीजा जाड़ा, गरमी व बारिश के मौसम में भी बच्चों को फर्श पर ही बैठ कर पढ़ाई पूरी करनी होती है. शनिवार को भी कक्षा तीन के छात्रों को गंदे फर्श पर बैठ कर पढ़ाई करते नजर आये. पूछने पर शिक्षिका ने कहा कि बेंच-डेस्क पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं है.
छात्रों की संख्या 330, उपस्थिति 100 से भी कम
मध्य विद्यालय कल्याणपुर में नामांकित छात्रों की संख्या 330 है. शनिवार को छात्रों की उपस्थिति एक सौ से भी कम थी. शिक्षकों ने बताया कि स्कूल में हर दिन औसतन 100 से लेकर 125 छात्र-छात्राएं उपस्थित होते हैं. योजना के तहत मध्याह्न भोजन बच्चों के बीच पराेसा जाता है. लेकिन, स्कूल कैंपस एवं चहारदीवारी के बाहर गंदगी का अंबार है. साफ-सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है. पिछले एक वर्ष से छात्रवृत्ति की राशि का वितरण नहीं किया गया है.
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