देवघर: देवघर भूमि घोटाला अविभाजित बिहार के समय हुए चारा घोटला से भी बड़ा साबित हो सकता है. वैसे तो पशुपालन में 950 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था, जबकि देवघर भूमि घोटाला एक हजार करोड़ रुपये आंका गया है.
चारा घोटाला में भले ही अभियुक्तों की संख्या देवघर भूमि घोटाला के अभियुक्तों से अधिक है, मगर देवघर में भूमि घोटाले की जांच जिस प्रकार सीबीआइ कर रही है, उस अनुसार अभियुक्तों की संख्या बढ़ सकती है. सीबीआइ भूमि घोटाले में पिछले 30 वर्षो के दौरान हुई गड़बड़ियों को खंगाल रही है.
इस दौरान 1980 से अब तक हुई गड़बड़ियों की फाइल व अभिलेख तलाशी जा रही है. सूत्रों के अनुसार इस 30 वर्षो में सरकारी पदाधिकारी कर्मियों से लेकर जमीन के फर्जीवाड़े में शामिल ब्रोकरों को सीबीआइ जांच के दायरे में ला रही है. इसी कड़ी में सीबीआइ ने 1980 से 1985 तक अनुमंडल कार्यालय में पदस्थापित पेशकारों के नामों की सूची मांगी है. 826 एकड़ के अलावा सीबीआइ पिछले 30 वर्षो देवघर में किस प्रकार जमीन की प्रकृति बदलने का कागजी खेल चला उसकी पूरी कहानी खोज रही है.
दो सील बंद लिफाफा सौंप चुकी है सीबीआइ
भूमि घोटाले की सीबीआइ जांच पिछले एक वर्षो से जारी है. सीबीआइ जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है. हाइकोर्ट में सीबीआइ ने दो सीलबंद लिफाफे में जांच की स्टेटस रिपोर्ट सौंपी है. बावजूद सीबीआइ का जांच वृह्द होता जा रहा है. स्टेटस रिपोर्ट सौंपने के बाद लगातार दो दिनों तक काराधीन अभियुक्तों ध्रुव परिहस्त व सुनील पोद्दार से सीबीआइ अधिकारियों ने पूछताछ की. सीबीआइ अन्य संदिग्धों से भी पूछताछ कर रही है. यह जांच का क्रम जिस प्रकार बढ़ रहा है, उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि घोटाले के अभियुक्त व जमीन का आंकड़ा भी बढ़ सकता है.