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देवघर में भू-कंप का केंद्र होना बड़ी चिंता की बात देवघर में भू-कंप: वैज्ञानिक विश्लेषण पुरानी धारणा टूटी, होना चाहिए नया शोध रंजीत/विजय कुमार, देवघर भू-कंप की संभावना की दृष्टि से संतालपरगना समेत पूरा झारखंड डेड जोन माना जाता है. इस इलाके की चट्टानें बहुत पुरानी हैं. हालांकि एक फाल्टलाइन गंगा के किनारे से निकलकर, […]

देवघर में भू-कंप का केंद्र होना बड़ी चिंता की बात देवघर में भू-कंप: वैज्ञानिक विश्लेषण पुरानी धारणा टूटी, होना चाहिए नया शोध रंजीत/विजय कुमार, देवघर भू-कंप की संभावना की दृष्टि से संतालपरगना समेत पूरा झारखंड डेड जोन माना जाता है. इस इलाके की चट्टानें बहुत पुरानी हैं. हालांकि एक फाल्टलाइन गंगा के किनारे से निकलकर, पाकुड़, गोड्डा, साहिबगंज तक गयी है, लेकिन देवघर से होकर कोई फाल्टलाइन नहीं गुजरती है. परंपरागत तौर पर भूगर्भ वैज्ञानिक मानते रहे हैं कि इस इलाके में संवेदनात्मक यानी दूसरी जगह में उत्पन्न होने वाले भू-कंप के कंपन तो पहुंच सकते हैं, लेकिन यहां से भू-कंप ओरिजिनेट नहीं कर सकते. लेकिन, मंगलवार के भू-कंप ने इस धारणा पर सवालिया निशान लगा दिया है. मंगलवार को सुबह आठ बजकर पांच मिनट और आठ बजकर आठ मिनट पर जो दो भू-कंप संतालपरगाना इलाके में आये उसका केंद्र देवघर जिले (मधुपुर से आठ किलोमीटर दूर बिल्ली जमुनी गांव) में था. इसकी तीव्रता 4.3 और गहराई करीब 10 किलोमीटर थी. कम गहराई भी चिंता का विषय है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इसका आवर्तकाल 15-20 सकेंड भी होता तो जान माल का भारी नुकसान हो सकता था. हाल के वर्षों में यह दूसरा अवसर है जब झारखंड में कोई भू-कंप ओरिजिनेट किया है. कुछ साल पहले गढ़वा-लातेहार इलाके में भी ऐसा देखा गया था. बड़ा सवाल है कि आखिर झारखंड में भू-कंप की उत्पत्ति के क्या कारण हैं. हालांकि अब तक इस पर कोई प्रामाणिक शोध नहीं हुआ है. लेकिन संतालपरगना समेत पूरे झारखंड में प्राकृतिक संरचनाओं मसलन पहाड़-पठार-जंगल आदि से छेड़छाड़, अंधाधुंध खनन आदि इसके प्रमुख कारण माने जाते हैं. नये शोध की जरूरत : नीतीश प्रियदर्शी फोटो सिटी में झारखंड के जाने-माने भूगर्भ वैज्ञानिक नीतीश प्रियदर्शी कहते हैं कि पहले गढ़वा-लातेहार में और अब देवघर में भू-कंप ओरिजिनेट किया है. परंपरागत शोध के लिहाज से देखें, तो यह अप्रत्याशित है. अवैज्ञानिक खनन, ब्लास्टिंग, डीप बोरिंग, पहाड़ों को तोड़ा जाना आदि इसकी वजह हो सकती है. वैसे झारखंड में भू-कंप क्यों आेरिजिनेट कर रहा है, इस पर नये शिरे से व्यापक शोध होना चाहिए. इसकी ठोस वैज्ञानिक वजह तलाशने की आवश्यकता है. यह पता लगाने की भी जरूरत है कि क्या झारखंड के इलाके में कोई फाल्टलाइन अस्तित्व में है ? है तो कहां है और इसकी उत्पत्ति कब और कैसे हुई है. खतरनाक भविष्य का संकेत: डॉ सिंहफोटो विजय के फोल्डर में सीताराम सिंह के नाम से भू-वैज्ञानिक व देवघर कॉलेज, देवघर के प्राचार्य सीताराम सिंह कहते हैं कि देवघर में भू-कंप का तेज झटका भविष्य के लिए चेतावनी है. लगातार पहाड़ टूट रहा है. जंगल खत्म हो रहा है. धरती का तापमान बढ़ रहा है. पर्यावरण एवं वातावरण को संतुलित बनाये रखना काफी जरूरी है. फॉल्ट जोन (भ्रंश क्षेत्र) धनबाद से ललमटिया, पीरपैंती, होते हुए भागलपुर से आगे निकलता है. अभी तक यह क्षेत्र मजबूत स्थिति में था. लेकिन, देवघर में भूकंप का केंद्र बिंदु होने के बाद स्थिति बदल गयी है. यह अलर्ट है कि राज्य सरकार ब्रीज, बड़े-बड़े इमारत के निर्माण में न सिर्फ ऑर्किटेक्ट. बल्कि भू-वैज्ञानिकों की मदद लें. खतरनाक थी आवाज : शुभेश्वर झा फोटो शुभेश्वर झा के नाम से विजय फोल्डर में रिनेम हैडीपसर कॉलेज ऑफ एजुकेशन के व्याख्याता शुभेश्वर झा ने कहा कि भारत में भूकंप के इतिहास में पहली घटना है जब भू-कंप का केंद्र देवघर बना है. यह चिंता का विषय है. साथ ही भविष्य में इसका गंभीर असर होगा. भूकंप का साउंड भी काफी डेंजरेश था. इस घटना से साबित हो रहा है कि भू-गर्भ की अवस्था भूकंपरोधी न होकर भविष्य में खतरा बढ़ने की संभावना है. इसका गंभीर असर होगा. धरती के अंदर भूगर्भीय स्थिति बदली है. क्रैक्स कितना बड़ा है, यह कहना मुश्किल है. सभी अध्ययन तरंगों पर आधारित होता है. देवघर में पुराने मकान आरसीसी पिलर पर नहीं बना है. इसलिए व्हीप्लेक्स मूवमेंट के कारण पुराने मकान जमींदोज होने की संभावना है. भविष्य को देखते हुए भूकंपरोधी मकान निर्माण की जरूरत है. भूकंपरोधी भवन निर्माण में मामूली खर्च का अंतर आता है.

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