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288रु का वाद 50 साल बाद निबटा

देवघर: राष्ट्रीय लोक अदालत अगर न होता तो शायद चंद्र नारायण राय को क्षतिपूर्ति के 50 साल पुराने मुकदमों के जंजाल से छुटकारा नहीं मिलता. मां के विरुद्ध दर्ज हुए केस को पैर की बीमारी से ग्रसित उनके बूढ़े बेटे ने इस अदालत के माध्यम से निबटाया. मामला सिर्फ 288 रुपये का था. चंद्र नारायण […]

देवघर: राष्ट्रीय लोक अदालत अगर न होता तो शायद चंद्र नारायण राय को क्षतिपूर्ति के 50 साल पुराने मुकदमों के जंजाल से छुटकारा नहीं मिलता. मां के विरुद्ध दर्ज हुए केस को पैर की बीमारी से ग्रसित उनके बूढ़े बेटे ने इस अदालत के माध्यम से निबटाया.

मामला सिर्फ 288 रुपये का था. चंद्र नारायण की मां सीता कुमारी के विरुद्ध मुकदमा हुआ था. मुकदमा सरकारी राजस्व क्षतिपूर्ति से संबंधित था, जो एलआरडीसी देवघर की अदालत में लंबित था. मुकदमे में आदेश के बाद राशि जमा नहीं करने पर एलआरडीसी के कोर्ट में वाद संख्या 117/2000-2001 दर्ज हुआ.

प्रतिवादी सीता की मौत के बाद यह राशि उनके तीन पुत्रों पर चली आयी. पुत्रों में से भी दो का निधन हो गया. छोटे पुत्र चंद्र नारायण राय ने अपनी मां पर हुए इस केस का निष्पादन सुलह के आधार पर राष्ट्रीय लोक अदालत में किया गया. 50 साल से चल रहे मुकदमे को खत्म करने के लिए उन्हें सिर्फ 288 रुपये चुकाने पड़े.

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