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अति बुजुर्ग के लिए मनरेगा नहीं बन सका मन-रे-गा !

-संजीत मंडल- देवघरः संताल परगना में 18 से 30 वर्ष के युवा मजदूर तो काम मांगते ही हैं. यहां अति बुजुर्ग यानी 80 वर्ष की उम्र के ऊपर के मजदूरों के पास भी मनरेगा का जॉब कार्ड है और वे अपना व परिवार का पेट पालने के लिए काम मांगते हैं. लेकिन मनरेगा की विडंबना […]

-संजीत मंडल-

देवघरः संताल परगना में 18 से 30 वर्ष के युवा मजदूर तो काम मांगते ही हैं. यहां अति बुजुर्ग यानी 80 वर्ष की उम्र के ऊपर के मजदूरों के पास भी मनरेगा का जॉब कार्ड है और वे अपना व परिवार का पेट पालने के लिए काम मांगते हैं. लेकिन मनरेगा की विडंबना देखिये, इन अतिबुजुर्गो को भी काम नहीं मिल पाता है. आखिर कोई भी अति बुजुर्ग किस परिस्थिति में मजदूरी करना चाहता है.

जरूर उन लोगों की कोई विवशता रही होगी, इस कारण वे उम्र के इस पड़ाव में काम मांगते हैं. लेकिन जिला प्रशासन है कि उन लोगों को रोजगार उपलब्ध नहीं करा पाता है. मनरेगा के ताजा सरकारी डाटा पर गौर करें तो संताल परगना में कुल 11 हजार 598 अति बुजुर्ग (80 वर्ष से ऊपर के) निबंधित मनरेगा मजदूर हैं. इनमें से वर्ष 2013-14 में अब तक मात्र 1708 मजदूरों को ही काम मिल पाया है.

शेष 9890 अति बुजुर्ग मजदूर काम की तलाश में भटकते रहते हैं या इनके पास जॉब कार्ड तो है लेकिन इस स्थिति में भी नहीं हैं कि काम मांगने दूसरी जगह जा सकें. मनरेगा में जॉब कार्ड जारी करने और जॉब कार्ड मिलने के बाद काम मिलने की प्रक्रिया का पालन कम से कम संतालपरगना में तो नहीं हो रहा है. यही कारण है कि अतिबुजुर्ग भी काम की तलाश में भटकते रहते हैं, उन्हें काम नहीं मिलता.

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