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शिक्षा के बिना सामाजिक व आर्थिक प्रगति संभव नहीं : मूचकुन्द दुबेक्रेज के कार्यक्रम में भाग लेने देवघर आये पूर्व विदेश सचिव ने कहाशिक्षा का अधिकार कानून पर व्याख्यान फोटो सुभाष की.- स्कूलों में तय मानक का नहीं हो रहा अनुपालन- कानून में नहीं है फंडिंग का प्रावधान- पूर्व की केंद्र सरकार के साथ वर्तमान […]

शिक्षा के बिना सामाजिक व आर्थिक प्रगति संभव नहीं : मूचकुन्द दुबेक्रेज के कार्यक्रम में भाग लेने देवघर आये पूर्व विदेश सचिव ने कहाशिक्षा का अधिकार कानून पर व्याख्यान फोटो सुभाष की.- स्कूलों में तय मानक का नहीं हो रहा अनुपालन- कानून में नहीं है फंडिंग का प्रावधान- पूर्व की केंद्र सरकार के साथ वर्तमान सरकार कर रही बच्चों के साथ अन्याय संवाददाता, देवघर ‘शिक्षा अधिकार कानून’ पर एक दिवसीय व्याख्यान का आयोजन पंचायत प्रशिक्षण संस्थान डाबरग्राम के सभागार में किया गया. क्रेज (कैंम्पेन फॉर राइट टू एजुकेशन इन झारखंड) द्वारा आयोजित व्याख्यान के मुख्य वक्ता पूर्व विदेश सचिव मूचकुन्द दुबे ने शिक्षा का अधिकार कानून में व्याप्त खामियों को खूब गिनाया एवं अच्छाइयों पर भी चर्चा की. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय पटल पर शिक्षा के क्षेत्र में भारत की स्थिति, शिक्षा के अधिकार कानून की पेचीदगियां, बच्चों को मिलने वाले लाभ एवं सामाजिक स्तर पर बदलाव पर ध्यान आकृष्ट कराया. उन्होंने कहा कि जबतक उचित एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भारत में नहीं होगी, तबतक भारत में ठीक तरीके से सामाजिक एवं आर्थिक प्रगति संभव नहीं है. यूनेस्को ने शिक्षा की परिभाषा ही बदल डाली. दुनिया के विकासशील देश आगे निकल गये. लेकिन, भारत आज भी प्राइमरी एजुकेशन में ही उलझ कर रह गया है. आज जरूरत है सरकार एवं सामाजिक संगठनों के स्तर पर उचित पहल कर शिक्षा के ढांचागत व्यवस्था को मजबूत किया जाये. उन्होंने सामान शिक्षा प्रणाली की जोरदार वकालत की. साथ ही कहा कि जो कानून आज हमारे पास है. उसे बनाये रखना भी बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि यह कानून छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों को पोषण, आहार, स्वास्थ्य एवं स्कूल पूर्व शिक्षा का अधिकार नहीं दिया है. जबकि यह स्कूल शिक्षा की बुनियाद है. बुद्धिजीवियों, शिक्षकों सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा प्रेस-मीडिया से आह्वान किया कि शिक्षा अधिकार कानून के अनुपालन के लिए व्यापक पहल करें. उन्होंने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, योग्य शिक्षक, भाषाई शिक्षा आदि पर जोर दिया. कार्यक्रम की शुरुआत समाजसेवी घनश्याम भाई ने झारखंड के परिदृश्य में शिक्षा का अधिकार कानून पर चर्चा करते हुए भाषाई शिक्षा लागू करने पर जोर दिया. इसके अलावा वक्ता सेवानिवृत्त जिला जज प्रसन्न दुबे, सेवानिवृत्त उप विकास आयुक्त किशाेर चंद्र मिश्रा, समाज सेवी दिलीप दुबे आदि ने अपने-अपने विचारों से अवगत कराया. इस मौके पर क्रेज के संयोजक डॉ नीरज कुमार, क्रेज के सदस्य कालेश्वर मंडल, समन्वयक रंजीत कुमार, ग्राम ज्योति की आभा, विकल्प के सोहन चौधरी, लोक प्रेरणा के विलास भुईयां, साथी के दीनानाथ साह आदि उपस्थित थे.दो बड़े बदलाव आये पूर्व विदेश सचिव ने कहा कि देश में शिक्षा के मामले में दो बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं. पहली प्राइमरी स्तर पर शिक्षा के लिए बच्चों का इनरॉलमेंट एवं हायर एजुकेशन के नाम पर युवाओं की भीड़ बढ़ी है. इस आंकड़ों के पीछे बड़ा धोखा है. प्राइमरी स्तर पर स्कूलों में इनरॉलमेंट एवं बच्चों की उपस्थिति के बीच काफी बड़ा अंतर होता है. हमारे देश में माध्यमिक शिक्षा तिरस्कृत रहा है. पूर्व की सरकार के साथ-साथ वर्तमान में केंद्र सरकार भी बच्चो के अन्याय कर रही है. राइट टू एजुकेशन पर चर्चा नहीं हो रही है. वर्तमान सरकार की गंभीर चुप्पी कई सवाल खड़ा करती है.

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