स्थिति यह है कि जब उक्त बुजुर्ग को प्यास लगती है तो उस होकर बगल से आने-जाने वाले लोगों को वे आवाज देकर बुलाते हैं. उनमें से कोई मानवता के नाते आकर उन्हें कभी-कभी पानी दे देता है तभी उनकी प्यास मिटती है. अस्पताल से जुड़े एक कनीय कर्मी ने बताया कि कई दिन पूर्व ही नगर पुलिस ने लाकर उन्हें सदर अस्पताल में छोड़ दिया है. उसे लाने वाले पुलिसकर्मी ने यह भी बताया था कि उक्त बुजुर्ग बिलासी टाउन के रहने वाले हैं. पुलिस द्वारा उनके परिजनों को सूचना दी गयी थी किंतु किसी ने सुधि लेना भी उचित नहीं समझा.
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चार दिनों से तड़प रहे भूखे-प्यासे, किसी ने नहीं ली सुधि
देवघर: सदर अस्पताल ओपीडी के पीछे बने शेड में चार दिनों से एक बुजुर्ग पड़े हुए हैं. वे भूखे-प्यासे हैं. उन्हें देखने वाला भी कोई नहीं है. वहीं खाना-पानी भी उक्त बुजुर्ग को नहीं मिल पा रहा है. वे बेसुध हालत में शेड की फर्श पर सोये पड़े हुए हैं. उनके पांव समेत शरीर के […]
देवघर: सदर अस्पताल ओपीडी के पीछे बने शेड में चार दिनों से एक बुजुर्ग पड़े हुए हैं. वे भूखे-प्यासे हैं. उन्हें देखने वाला भी कोई नहीं है. वहीं खाना-पानी भी उक्त बुजुर्ग को नहीं मिल पा रहा है. वे बेसुध हालत में शेड की फर्श पर सोये पड़े हुए हैं. उनके पांव समेत शरीर के कई हिस्से में जख्म भी है. फिर भी किसी को यह नहीं हो पा रहा है कि उनका मरहम-पट्टी कराया जाये या दवा आदि प्राथमिक उपचार किया जाये.
स्थिति यह है कि जब उक्त बुजुर्ग को प्यास लगती है तो उस होकर बगल से आने-जाने वाले लोगों को वे आवाज देकर बुलाते हैं. उनमें से कोई मानवता के नाते आकर उन्हें कभी-कभी पानी दे देता है तभी उनकी प्यास मिटती है. अस्पताल से जुड़े एक कनीय कर्मी ने बताया कि कई दिन पूर्व ही नगर पुलिस ने लाकर उन्हें सदर अस्पताल में छोड़ दिया है. उसे लाने वाले पुलिसकर्मी ने यह भी बताया था कि उक्त बुजुर्ग बिलासी टाउन के रहने वाले हैं. पुलिस द्वारा उनके परिजनों को सूचना दी गयी थी किंतु किसी ने सुधि लेना भी उचित नहीं समझा.
इन्हें कौन देगा छांव
जसीडीह थाना क्षेत्र के बाघमारा में सरस कुंज द्वारा वृद्धाश्रम संचालित है. उक्त संस्था से जिले के वरीय प्रशासनिक पदाधिकारियों से लेकर शहर के दर्जनों नामचीन लोग भी जुड़े हैं. बावजूद अस्पताल या पुलिस द्वारा उक्त संस्था को अब तक कोई सूचना भी नहीं दी गयी है. वहीं अब तक इस संबंध में किसी ने उक्त बुजुर्ग की सुधि लेना भी उचित नहीं समझा है. अस्पताल के जिम्मेवार पदाधिकारी से लेकर प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी व स्वास्थ्यकर्मी प्रतिदिन उक्त बुजुर्ग को देखते भी हैं बावजूद अब तक किसी ने मानवता नहीं दिखायी. अगर उक्त बुजुर्ग को बिना भोजन-पानी व उपचार के कुछ हो जाता है तो जिम्मेवार कौन होंगे उनके परिवार या स्वास्थ्य महकमा?
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