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जब केंद्र ही कुपोषित तो कैसे होगा इलाज!

पालोजोरी: ढेना मुर्मू की साल भर की मासूम बच्ची की मौत ने सीएचसी पालोजोरी स्थित कुपोषण उपचार केंद्र (एमटीसी) की खस्ताहाली को सामने ला दिया है. केंद्र की व्यवस्था, प्रबंधन और कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं. एक ओर जहां लाभुकों को नियम के अनुरूप सुविधा व प्रोत्साहन राशि नहीं मिल पा रही है, तो […]

पालोजोरी: ढेना मुर्मू की साल भर की मासूम बच्ची की मौत ने सीएचसी पालोजोरी स्थित कुपोषण उपचार केंद्र (एमटीसी) की खस्ताहाली को सामने ला दिया है. केंद्र की व्यवस्था, प्रबंधन और कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं. एक ओर जहां लाभुकों को नियम के अनुरूप सुविधा व प्रोत्साहन राशि नहीं मिल पा रही है, तो दूसरी ओर बीते डेढ़ महीने से नवपदस्थापित चिकित्सक प्रभार के इंतजार में हैं.
मंगलवार को सीएचसी में सात कुपोषित बच्चे भरती थे. नियम के अनुरूप सभी बच्चों की धातृ माताओं को 200 रुपये प्रति दिन प्रोत्साहन राशि मिलनी चाहिए.
लेकिन नौ दिनों से भरती पहरूडीह गांव के डेढ़ वर्षीय मंटु सोरेन की मां बालिका मुर्मू ने बताया कि उसे अब तक केवल तीन सौ रुपये ही दिये गये हैं. रामपुर गांव के संजीत किस्कु की मां छुबी मरांडी को छह दिनों में मात्र तीन सौ व लखन हांसदा एवं राम हांसदा की मां मिरू मरांडी को पांच दिनों में 300 रुपये का भुगतान किया गया है. कांकी की संजू देवी ने बताया कि उसके पुत्री को दो दिन पूर्व भर्ती कराया गया है, लेकिन उसे अब तक एक भी रुपया नहीं मिला है. जिस कारण बाजार से महंगा खाना खरीदकर खाने में उसे काफी परेशानी हो रही है. एमटीसी सेंटर द्वारा केवल बच्चों को ही खाना दिया जाता है. भुगतान के संबंध में बीएएम प्रशांत सौरभ ने बताया कि एमटीसी में लाभुकों को भुगतान के लिए एमटीसी की प्रभारी एएनएम को एडवांस में पैसा दे दिया जाता है. जिसका समायोजन वाउचर से किया जाता है. वहीं इस संबंध में एमटीसी की प्रभारी एएनएम अनिता मरांडी ने कोई भी जवाब नहीं दिया व सवालों काे टाल दिया.
लगभग डेढ़ माह पूर्व चिकित्सा प्रभारी डॉ एनी एलिजाबेथ टुडू का तबादला पालोजोरी सीएचसी से मधुपुर पीएचसी में हुआ है. तबादला के बाद भी डॉ एनि एलिजाबेथ द्वारा नवपदस्थापित चिकित्सक को प्रभार नहीं दिया गया है. जिसके कारण सीएचसी में जेएसएसवाई के लाभुकों, सहिया, सहिया साथी को प्रोत्साहन राशि का भुगतान सहित कई अन्य कामों में परेशानी हो रही है. वहीं जिला के चिकित्सा विभाग भी इस मामले को गंभीरता नहीं दिखा रहा है. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के नहीं रहने के कारण सीएचसी की प्रशासनिक व्यवस्था चरमारायी हुई है.

डॉक्टर पर कार्रवाई नहीं, सिस्टम सुधारे प्रशासन: डॉ संजय
डॉ संजय कुमार ने पालोजोरी में कुपोषण से पीड़ित बच्ची की मौत पर प्रशासनिक कार्रवाई पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि कुपोषण मुक्त करने के लिए राज्य सरकार की योजनाएं चल रही है. इसको चिह्नित करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र, कुपोषण उपचार केंद्र है. सेविका, सहायिका, सीडीपीओ नियुक्त हैं.
लेकिन अभी तक यह कार्यशैली डेवलप नहीं हो सका है. इसलिए उक्त बच्ची की मौत हुई. डॉ संजय ने कहा : यदि समय से पहले उसे चिन्हित कर लिया जाता तो बच्ची बच सकती है. अंतिम स्टेज में बच्ची को अस्पताल लाया गया तो इसमें चिकित्सक की क्या गलती है. इसलिए जिला प्रशासन पहले अपना सिस्टम सुधारे, डॉक्टरों पर कार्रवाई करने से कुछ नहीं होने वाला है.
“ एमटीसी में भरती लाभुकों के अभिभावक को प्रति दिन 200 रुपये की दर से नगद भुगतान किये जाने का प्रावधान है. कैस का प्रभार पूर्व चिकित्सा प्रभारी डॉ एनी एलिजाबेथ के पास है. इस संबंध में वे ही ज्यादा कुछ नहीं बता सकते हैं.
– डॉ देवानंद प्रकाश, चिकित्सा पदाधिकारी

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