यह प्राधिकार बाबा बैद्यनाथ मंदिर, बासुकीनाथ मंदिर व उसके आस पास के इलाके का विकास व प्रबंधन का काम करेगा. सरकार ने प्राधिकार को काफी शक्तियां दी है. पूर्व से जो समस्याएं है, उसका निदान किया जायेगा. अगले श्रावणी तक देवघर व बासुकीनाथ की परिस्थितियां अलग होंगी तथा व्यवस्था दुरुस्त की जायेगी. भविष्य में भगदड़ जैसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं होने दी जायेगी. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई.
सोच पर कुछ काम भी शुरू कर दिया गया है, यह भी अच्छी बात है. सरकार एक साल के अंदर श्रावणी मेला की व्यवस्था में सुधार कर दे, तो बड़ी उपलब्धि होगी. खराब प्रबंधन नहीं चलेगा. मंदिर प्रबंधन में वैसे लोगों को शामिल किया जाना चाहिए, जो सुधार ला सके. मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी. देवघर चेंबर की ओर से वरीय अधिवक्ता राजीव शर्मा ने पक्ष रखा, जबकि राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार ने पक्ष रखा. गौरतलब है कि श्रावणी मेला में भगदड़ से 10 श्रद्धालुओं की मौत की घटना को गंभीरता से लेते हुए हाइकोर्ट ने उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.