इसमें 700 एकड़ जमीन को रबी फसल में पानी मिल सकता था. तालाब में पानी स्टोर होने से मत्स्य पालन में भी जिले में वृद्धि हो जाती. लेकिन उस अनुसार तालाबों का जीर्णाद्धार ही नहीं हो पाया. पिछले वर्ष भी बरसात से पहले आनन-फानन में कार्य कर राशि की बंदरबांट हुई. इस वर्ष भी आनन-फानन में खानापूर्ति कर राशि की निकासी की तैयारी चल रही है.
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1400 एकड़ जमीन को मिल सकता था पानी
देवघर: जिले में मनरेगा, राज्य संपोषित योजना, नन-आइएपी व बंजर भूमि विकास योजना के तहत तालाबों के जीर्णोद्धार में पिछले दो वर्षो में लगभग पांच करोड़ रुपये किये जा चुके हैं. लेकिन इतनी बड़ी राशि खर्च किये जाने के बावजूद उन तालाबों में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं है. तालाब जीर्णोद्धार का काम करने […]
देवघर: जिले में मनरेगा, राज्य संपोषित योजना, नन-आइएपी व बंजर भूमि विकास योजना के तहत तालाबों के जीर्णोद्धार में पिछले दो वर्षो में लगभग पांच करोड़ रुपये किये जा चुके हैं. लेकिन इतनी बड़ी राशि खर्च किये जाने के बावजूद उन तालाबों में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं है. तालाब जीर्णोद्धार का काम करने वाली संबंधित विभागों के अनुसार करीब पांच करोड़ रुपये की लागत से खर्च किये गये तालाबों से 1400 एकड़ जमीन की सिंचाई हो सकती थी.
मोहनपुर में ग्रामीणों की शिकायत पर विधायक ने बीडीओ से मांगी जांच रिपोर्ट
मोहनपुर प्रखंड में नन आइएपी से मोहनपुर रानी तालाब व राज्य संपोषित योजना के तहत लघु सिंचाई विभाग से धावाटांड़ में तालाब जीर्णोद्धार में हुई गड़बड़ी की शिकायत ग्रामीणों ने विधायक नारायण दास की. चकरमा निवासी किसान धनंजय झा समेत कई लोगों ने विधायक से कहा कि काफी मशक्कत के बाद योजना स्वीकृत हुई लेकिन रानी तालाब में जैसे-तैसे अधूरा कार्य कर छोड़ दिया गया व मिट्टी को सड़क गिरा दिया गया. इसकी जांच होनी चाहिए. अखबार में भी लगातार प्रकाशित होती रही है. विधायक ने दोनों तालाब की जांच कर बीडीओ शैलेंद्र रजक से रिपोर्ट मांगी है व डीसी को भी इसकी रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया.
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