किसी के घर की दीवार क्रेक कर गयी है तो किसी को अपने घर के लोगों व मवेशी की चिंता सताये जा रही है.अपनी क्षमता व संपर्क के हिसाब से नेपाल के रहने वाले लोग अपने देश-जिले व गांव के लोगों से फोन पर संपर्क करने का प्रयास कर रहे हैं ताकि उन्हें अपने परिजनों के विषय में कुछ अच्छी खबर मिल सके .इसके अलावा लोग टेलीविजन पर अपनी नजरें गड़ाये बैठे हैं. टीवी पर अपने शहर व देश के ताजा हालात को देख अपने दुखों पर संतोष करने को मजबूर हो रहे हैं. प्रस्तुत है नेपाली लोगों से बातचीत के अंश :
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देवघर में रहने वाले नेपाली परिवार के लोग हैं सदमे में
देवघर: हिमालय की तराई में बसे नेपाल में इस समय विपदा आन पड़ी है. लगातार दो दिनों (25 व 26 अप्रैल को) में दो अलग-अलग जगहों (लामुपुंग व कोदारी) में तीव्रता वाले भूकंप से हाहाकार मचा है. इस घटना से देवघर में रहने वाले नेपाल से तालुक रखने वाले लोग भी सदमें हैं. अपने घर […]
देवघर: हिमालय की तराई में बसे नेपाल में इस समय विपदा आन पड़ी है. लगातार दो दिनों (25 व 26 अप्रैल को) में दो अलग-अलग जगहों (लामुपुंग व कोदारी) में तीव्रता वाले भूकंप से हाहाकार मचा है. इस घटना से देवघर में रहने वाले नेपाल से तालुक रखने वाले लोग भी सदमें हैं. अपने घर (सेंगजा) से सैकड़ों किलोमीटर दूर देवघर में जीविकोपाजर्न के लिए बसे नेपाली समुदाय के लोग अपने घर व परिवार के लोगों के विषय में चिंता कर परेशान हो रहे हैं.
नेपाल के लामपुंग व कोदारी के बीच में बसा है सेंगजा. भूकंप ने हमारे गांव को तबाह कर दिया है. गांव में बसे उनके घर के दीवार पूरी तरह से दरक गये हैं. पतनी व बाल -बच्चे सड़क पर व खेत में सोने को विवश हो गये हैं. घर के लोगों की चिंता सता रही है. समझ नहीं आ रहा क्या करें. -नर बहादुर थापा
नेपाल के सेंगजा जिले के नीबा गाबीस में बहुत ज्यादा तो नहीं मगर आंशिक क्षति जरूर हुई है. घर के लोग व परिजन काफी सहमे हुए हैं. कुछ दिनों पहले ही गांव से भारत आया हूं. आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. ऐसे में घर लौट कर भी क्या करूंगा.
– प्रेमनाथ शर्मा
नेपाल बहुत छोटा सा देश है. वहां रोजगार की समस्या है. यही वजह है कि हम जैसे लोग भारत में पहरेदारी कर रोजगार करते हैं. इसके बदले अपने घर के लिए थोड़े बहुत पैसे जमा कर ले जाते हैं. मगर संकट के इस क्षण में देवघर में मन नहीं लग रहा है. – हरि प्रसाद तिवारी
रोजगार के लिए नेपाल के सेंगजा से अपने पिता के साथ देवघर में नौकरी के लिए आये हैं. मगर अचानक से देश व जिले में इतना बड़ा संकट आ गया है. यह सुन कर व टीवी पर देख कर मन भारी हो गया है. आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी न रहने के कारण वहां जाकर मदद करने की स्थिति में भी नहीं है. – कांशीराम शर्मा
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