एसीन परंपरा में आश्रम जीवन द्वारा जीवनी शक्ति निर्मित होती थी. योग्य गुरुओं के सफल निर्देशन से इस तरह की जीवनचर्या, उनके आध्यात्मिक तथा चेतनात्मक विकास में प्रभावशाली योगदान करती थी. आपसी सद्भाव तथा सहयोग द्वारा मानव-प्रकृति को नजदीक से देखने तथा समझने का दुर्लभ अवसर मिलता था जो पारिवारिक तथा सामाजिक जीवन में संभव नहीं है. ऐसे आध्यात्मिक वातावरण में दीर्घकाल तक रहने के बाद एसीन भिक्षुक जब समाज के शिक्षक, आरोग्य प्रदाता तथा परिव्राजक के रूप में घूमते तो उनका असाधारण प्रभाव पड़ता था. उनकी सामुदायिक जीवनशैली के परिणामस्वरूप उनका व्यक्तिगत विकास औसत मानवीय सीमाओं से परे हुआ था. उनमें असाधारण आध्यात्मिक सूझबूझ, मानसिक स्पष्टता तथा अंतदृर्ष्टि का विकास हुआ था.
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प्रवचन::: आश्रम जीवन द्वारा जीवनी शक्ति निर्मित होती है
एसीन परंपरा में आश्रम जीवन द्वारा जीवनी शक्ति निर्मित होती थी. योग्य गुरुओं के सफल निर्देशन से इस तरह की जीवनचर्या, उनके आध्यात्मिक तथा चेतनात्मक विकास में प्रभावशाली योगदान करती थी. आपसी सद्भाव तथा सहयोग द्वारा मानव-प्रकृति को नजदीक से देखने तथा समझने का दुर्लभ अवसर मिलता था जो पारिवारिक तथा सामाजिक जीवन में संभव […]
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