धीमी गति से दौड़ रही है फाइलें, सुस्त है काम, अनशन व दबाव भी नहीं आया काम
देवघर : रखंड की सरकार और उनके मातहत जिला प्रशासन के अधिकारियों की कार्यशैली कुछ ठीक नहीं है. कभी केंद्र सरकार के पेच तो कभी राज्य सरकार की नीतियों के कारण 35-35 सालों से जनहित की योजनाएं लटकी है. जनप्रतिनिधियों की कोशिश भी सरकार और जिला प्रशासन से काम करवाने में विफल रही हैं. सांसद को अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठना पड़ता है.
विकास के लिए सांसद को कोर्ट का सहारा लेना पड़ रहा है. चाहे बात 35 सालों से काम चल रहे पुनासी जलाशय योजना की हो या देवघर एयरपोर्ट निर्माण की बात हो या सुप्रसिद्ध बाबा मंदिर के संचालन के लिए प्रबंधन बोर्ड के पुनर्गठन का या फिर खेतौरी-घटवाल को एसटी का दर्जा देने का मामला हो. सभी मामले जनहित से जुड़े हैं. उपरोक्त सभी मामलों में गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने हाइकोर्ट में पीआइएल दायर किया. चारों मामलों की कोर्ट में सुनवाई चल रही है. योजनाएं धरातल पर जल्द से जल्द उतरे, काम तेजी से हो, इसके लिए भी अब कोर्ट के हस्तक्षेप की जरूरत पड़ गयी है.
पुनासी जलाशय योजना
पुनासी जलाशय योजना का काम 35 साल बीत जाने के बाद भी पूरा नहीं हो सका है. 1979 से शुरू होने वाली इस परियोजना में अब तक 121 करोड़ खर्च हो चुका है. इसमें 113 विस्थापितों को नौकरी भी मिल चुकी है. जलाशय योजना से लगभग 16 गांवों के 606 परिवार प्रभावित हैं. जब काम शुरू हुआ था तब इसकी प्राक्कलित राशि मात्र 26 करोड़ थी. योजना की वर्तमान स्थिति यह है कि अब प्राक्कलित राशि 900 करोड़ हो गयी है.
एयरपोर्ट निर्माण
देवघर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट निर्माण को भी मंजूरी भारत सरकार ने दी. जुलाई 2012 में ही झारखंड के तत्कालीन सीएम अजरुन मुंडा ने इस योजना का ऑनलाइन शिलान्यास किया था. तीन साल बीतने को है लेकिन जमीन अधिग्रहण में देरी के कारण काम शुरू नहीं हो पाया है. एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया को देवघर के एयरपोर्ट के विस्तारीकरण पर काम करना है. इसकेलिए 750 एकड़ जमीन की जरूरत है. जिसके अधिग्रहण में अभी भी पेच फंसा है.
बाबा मंदिर प्रबंधन बोर्ड का पुनर्गठन
गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने देवघर बाबा बैद्यनाथ मंदिर प्रबंधन बोर्ड के पुनर्गठन और इसमें स्थानीय प्रतिनिधियों को शामिल करने के मामले को लेकर कोर्ट में पीआइएल दायर किया है. कहा गया है कि जब से बोर्ड का गठन हुआ है, इसका पुनर्गठन नहीं हुआ है. बोर्ड में इतने सालों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ और न ही स्थानीय पंडा समाज के प्रतिनिधियों को जगह दी गयी है. बोर्ड में बाहर के लोगों को शीर्ष पदों पर रखा गया है, इस कारण बाबा मंदिर में श्रद्धालु हित और मंदिर के विकास के लिए काम नहीं हो पा रहा है.
पॉलिटेक्निक कॉलेज
गोड्डा सांसद ने गोड्डा, देवघर और दुमका में एक-एक पॉलिटेक्निक कॉलेज खोलने की स्वीकृति केंद्र सरकार ने दी, एक-एक पॉलिटेक्निक के लिए 12.50 करोड़ राशि भी मिल गया. 2010 की स्वीकृत कॉलेज भी नहीं बना, इस मामले को लेकर कोर्ट गये हैं.
खेतौरी-घटवाल को एसटी का दर्जा
खेतौरी-घटवाल को एसटी का दर्ज नहीं मिल रहा है. एक साल पहले ही कमेटी की रिपोर्ट आ गयी लेकिन आज तक लागू नहीं हुई. इससे ये जातियां उपेक्षित हैं. इसलिए इस मामले को लेकर भी सांसद कोर्ट गये हैं. इसके अलावा खेतौरी घटवाल के मामले में ह्यूमन राइट कमीशन में भी गये हैं.