इसी बीच ट्रेन भी प्लेटफॉर्म पर पहुंची तथा पूर्व सूचना के आधार पर एस-1 व एस-2 बोगी के यात्रियों की जांच की गयी. सूचना थी कि ब्रदर जॉनी 45 युवक-युवती को लेकर केरल ले जा रहा हैं, हालांकि उक्त दोनों बोगी में कोई नहीं मिला. पूछताछ में ब्रदर जॉनी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया. इन युवक-युवतियों को ले जाने को लेकर कोई इंटर माइग्रेशन सर्टिफिकेट व पुलिस-प्रशासन द्वारा निर्गत कोई कागजात भी ब्रदर जॉनी द्वारा नहीं प्रस्तुत किया जा सका. इस संबंध में एसडीओ जय ज्योति सामंता, एसडीपीओ दीपक पांडेय, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी राजीव रंजन सिन्हा ने संयुक्त रुप से बताया कि प्रथम द्रष्टया मामला ह्यूमन ट्रैफिकिंग जैसा लग रहा है. छानबीन चल रही है. जांच में जो भी सामने आयेगा, उसी आधार पर कार्रवाई की जायेगी. बाद में श्रम अधीक्षक संजय सिंह भी पहुंचे.
छानबीन के बाद उन्होंने बताया कि राज्य से बाहर मजदूरी कराने एक साथ इतने युवक-युवती को बिना इंटर माइग्रेशन के नहीं ले जा सकते हैं. इस संबंध में कोई कागजात नहीं मिला है, जो भी मामला बनेगा कार्रवाई होगी. पूछताछ के क्रम में ब्रदर जॉनी ने पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों को यह भी बताया कि दुमका में वोकेशनल ट्रेनिंग संस्थान चलाते हैं, जिसके वे निदेशक हैं. उक्त संस्थान में प्रशिक्षित करने के बाद अब तक वे लोग अलग-अलग शिक्षकों के माध्यम से 400 युवक-युवती को काम दिलाने के लिये केरल भेज चुके हैं. हालांकि इस संबंध में वहां के पुलिस-प्रशासन को उनलोगों द्वारा कोई सूचना नहीं दी गयी थी. जानकारी हो कि जसीडीह स्टेशन में पटना-एर्नाकुलम ट्रेन को जांच के दौरान करीब आधे घंटे तक रोके रखा गया था. जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद उक्त ट्रेन को जसीडीह से खोला गया.