ध्यान- एक विश्वव्यापी संस्कृतिआगामी अध्यायों में हम ध्यान की कुछ प्राचीन तथा पारंपरिक तकनीकों तथा कुछ लोकप्रिय नई तकनीकों पर विचार करेंगे. इनमें आपको कुछ समानताएं तथा भिन्नताएं देखने को मिलेंगी, परंतु इतने पर भी आप पायेंगे कि मौलिक सिद्धांत सभी तकनीकों में एक जैसे हैं. क्योंकि सभी जैन, बौद्ध, योगी, दरवेश तथा तिब्बती भिक्षुओं के स्नायु संस्थान एक जैसे होते हैं. इसलिए सभी तकनीकों में यदि कुछ समानताएं पायी जाती हैं तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है. ग्रंथ के इस खंड का संकलन करते समय हमारा उद्देश्य यह स्पष्ट करना रहा है कि प्राचीन काल में ध्यान मनुष्य के जीवन का आवश्यक अंग था तथा उसका अभ्यास किसी धर्म, संस्कृति तथा कुछ विशिष्ट लोगों तक ही सीमित नहीं था. भले ही ध्यान की पद्धतियों में थोड़ा-बहुत अंतर रहा हो, फिर भी समूचे विश्व में ध्यान प्रचलित था.
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प्रवचन::::: ध्यान की सभी तकनीकों में समानता मिलती है
ध्यान- एक विश्वव्यापी संस्कृतिआगामी अध्यायों में हम ध्यान की कुछ प्राचीन तथा पारंपरिक तकनीकों तथा कुछ लोकप्रिय नई तकनीकों पर विचार करेंगे. इनमें आपको कुछ समानताएं तथा भिन्नताएं देखने को मिलेंगी, परंतु इतने पर भी आप पायेंगे कि मौलिक सिद्धांत सभी तकनीकों में एक जैसे हैं. क्योंकि सभी जैन, बौद्ध, योगी, दरवेश तथा तिब्बती भिक्षुओं […]
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