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प्रवचन:::: आज्ञा चक्र अंतर्ज्ञान का केंद्र

अन्य चक्रों को जगाने की कोशिश प्रारंभ करने से पूर्व इसकी शुद्धि बहुत आवश्यक है. चूंकि आज्ञा चक्र का मूलाधार चक्र से सीधा संबंध है, इसलिए यहां किसी प्रकार का जागरण होने से उसका अनुभव मूलाधार में पहले होता है. इन दोनों चक्रों में शक्ति के प्रतीक अधोमुखी त्रिभुज पाये जाते हैं. आज्ञा चक्र अंतर्ज्ञान […]

अन्य चक्रों को जगाने की कोशिश प्रारंभ करने से पूर्व इसकी शुद्धि बहुत आवश्यक है. चूंकि आज्ञा चक्र का मूलाधार चक्र से सीधा संबंध है, इसलिए यहां किसी प्रकार का जागरण होने से उसका अनुभव मूलाधार में पहले होता है. इन दोनों चक्रों में शक्ति के प्रतीक अधोमुखी त्रिभुज पाये जाते हैं. आज्ञा चक्र अंतर्ज्ञान का केंद्र है. जिस व्यक्ति में यह चक्र जागता है, उसका मन एकदम स्थिर, संतुलित तथा राग-द्वेष से मुक्त हो जाता है. उसमें आत्मबल का विकास होता है. वह प्राणों पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर लेता है. वह अपने शरीर के किसी भी अंग में प्राण शक्ति प्रवाहित कर सकता है, अथवा किसी अन्य व्यक्ति के शरीर में प्राणों का संचार कर उसे रोग मुक्त कर सकता है. आज्ञा चक्र के जागरण के पश्चात साधक की मानसिक प्रवृत्ति के अनुकूल सिद्धियां प्रगट होने लगती हैं.

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