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प्रवचन ::: विशुद्धि का अर्थ ‘शोधन’

विशुद्धि का अर्थ होता है-‘शोधन’. इस प्रकार विशुद्धि चक्र ‘शोधन केंद्र’ कहलाता है. यहां विपरीत तत्वों का शोधन और उनके बी सामंजस्य होता है. इसे अमृत का केंद्र भी कहते हैं, क्योंकि यहां अच्छा तथा बुरा और विष तथा अमृत मिल जाने से आनंद का अनुभव होता है. कंठ के पीछे जहां चुल्लिका ग्रंथि होती […]

विशुद्धि का अर्थ होता है-‘शोधन’. इस प्रकार विशुद्धि चक्र ‘शोधन केंद्र’ कहलाता है. यहां विपरीत तत्वों का शोधन और उनके बी सामंजस्य होता है. इसे अमृत का केंद्र भी कहते हैं, क्योंकि यहां अच्छा तथा बुरा और विष तथा अमृत मिल जाने से आनंद का अनुभव होता है. कंठ के पीछे जहां चुल्लिका ग्रंथि होती है, यहां विशुद्धि चक्र के जागरण से स्वास्थ्य, यौवन तथा दीर्घायु की प्राप्ति होती है. जब यह चक्र अच्छी तहर कार्यशील होता है तो मृत ऊतकों में जीवन आ जाता है और शरीर में बीमारियां प्रगट नहीं होती. यहां तक कि उसके प्रभाव से भूख-प्यास का भी अनुभव नहीं होता है. विशुद्धि चक्र के जागरण के परिणामस्वरूप ही दूसरों की विचार तरंगों को ग्रहण करके उन्हें अपने मस्तिष्क के विभिन्न केंद्रों में भेजा जा सकता है. विशुद्धि वह केंद्र है जहां व्यक्ति दुनिया की वास्तविकता को स्वीकार करने के लिए तैयार रहता है तथा अच्छाइयों के साथ-साथ बुराइयों को भी स्वीकारता है.

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