जसीडीह: आसनसोल डीविजन अंतर्गत करोड़ों की आय देने वाला जसीडीह स्टेशन में वर्ष 2014 में कुछ भी बदलाव नहीं हुआ. यात्री पुरानी व्यवस्था व समस्याओं के बीच ट्रेनों में यात्रा करते रहे. जबकि रेल प्रशासन ने यात्रियों की सुविधा के लिए एमएफसी और नया पोर्टिको के लिए करोड़ों रुपये की योजना बनायी और धरातल पर काम भी शुरू कराया. नया पोर्टिको के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है और एमएफसी बन कर तैयार तो हुआ पर शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है.
रेलवे से प्राप्त जानकारी के अनुसार रेल प्रशासन ने जसीडीह स्टेशन हो कर यात्रा करने वाले यात्रियों के टिकटों से होने वाली प्रत्येक वर्ष करोड़ों की आय व उन्हें होने वाली असुविधा को देखते हुए करीब डेढ़ करोड़ की लागत से स्टेशन परिसर में सुविधायुक्त एमएफसी और करीब सवा करोड़ की लागत से नया पोर्टिको निर्माण की योजना बनायी. एमएफसी बन कर तैयार भी हो गया. लेकिन विभागीय प्रक्रिया के अभाव में यात्री इसके लाभ से वंचित रहे. वहीं पोर्टिको का काम जनवरी-2014 में पूरा होना था लेकिन अब तक सिर्फ जमीन समतल व चहारदीवारी का काम किसी तरह चल रहा है.
करोड़ों की आय व ए ग्रेड स्टेशन जसीडीह से आवागमन करने वाले यात्रियों को पुरानी अव्यवस्था के बीच ट्रेनों में भीड़ का सामना करना पड़ रहा है. अन्य ए ग्रेड के स्टेशनों की तरह जसीडीह स्टेशन में यात्रियों की सुविधाओं को नजर अंदाज किया गया. इस स्टेशन होकर चलने वाली सभी ट्रेनों में यहां के आरक्षण कोटा नहीं मिला. अस्वस्थ व घायल यात्री के लिए चिकित्सा, एंबुलेंस आदि की व्यवस्था नहीं हुई. विकलांग यात्री को एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर जाने-आने आदि की सुविधा नहीं है. ऐसे में देखा जाय तो वर्ष 2014 में भी जसीडीह स्टेशन में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं हुआ और यात्री पुरानी व्यवस्था के बीच जैसे-तैसे यात्र करते रहे.