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सरकारी सुविधाओं का इंतजार

मधुपुर: अनुमंडल क्षेत्र के पाथरोल में इन दिनों मछली उत्पादन जोर-शोर से किया जा रहा है. पाथरोल में कई तरह की मछलियां पायी जाती है. इनमें रेहू, टेंगरा, कतला, गोल्डन, विकेट आदि मछली शामिल है. इन मछलियों की कीमत 90 रुपये से 140 रुपये तक प्रतिकिलोग्राम है. पाथरोल के केवट टोला में करीब 30 घर […]

मधुपुर: अनुमंडल क्षेत्र के पाथरोल में इन दिनों मछली उत्पादन जोर-शोर से किया जा रहा है. पाथरोल में कई तरह की मछलियां पायी जाती है. इनमें रेहू, टेंगरा, कतला, गोल्डन, विकेट आदि मछली शामिल है. इन मछलियों की कीमत 90 रुपये से 140 रुपये तक प्रतिकिलोग्राम है. पाथरोल के केवट टोला में करीब 30 घर मछली उत्पादन क्षेत्र जुड़े हैं. जहां अंचल से डाक द्वारा 13 सरकारी तालाब व 70 निजी तालाब में मछली का उत्पादन किया जाता है.

कैसे होता है उत्पादन

कुंदन कापरी ने बताया कि पश्चिम बंगाल के नैहाटी बड़तल्ला से मछली का बच्चा लाया जाता है़ जहां इनकी कीमत करीब 300 रुपये प्रति किग्रा है. इनसे प्रति किग्रा 800 से 1200 मछली का बच्चा पाया जाता है. इनके द्वारा क्षेत्र में अवस्थित करीब 100 तालाब में मछलियों का उत्पादन किया जाता है.

नहीं मिलता सही प्रशिक्षण

सही प्रशिक्षण नहीं मिलने के कारण मछली का सही उत्पादन नहीं हो पाता है. भूतलाल कापरी, पंकज कापरी आदि मछली उत्पादकों ने बताया कि सरकार द्वारा सस्ते दामों में अगर मछली का बच्चा मुहैया जाय, तो पाथरोल मछली का बड़ा हब बन सकता है. उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा हमलोगों को किसी तरह का प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है. जिस कारण मछली उत्पादन जैसे-तैसे कर अपना व परिवार का पालन-पोषण करते हैं. उन्होंने बताया कि मछली पालन ही एकमात्र इनका रोजगार है. मछली उत्पादकों ने सरकार से मांग किया है कि पाथरोल में छोटी मछली व तालाब संपूर्ण रूप से उपलब्ध करायी जाय़.

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